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Tuesday, August 3, 2021

NORTH - EAST और पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा घटती है बादल फटने की घटना, ये है असली वजह

 "वहीं , कोलकाता सहित बंगाल के कई जिलों में भी इन दिनों बारिश ज्यादा हुई हैं। बुधवार और गुरुवार को भी बंगाल के कुछ जिलों में भारी बारिश होने की आशंका जताई जा रही हैं।  हालाँकि , यहाँ बारिश सामान्य से ज्यादा होती है लेकिन इसे बादल फटना नहीं कहते हैं।  जबकि भारत के उत्तरी- पूर्वी हिस्सों यानि जम्मू , उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में ज्यादा बारिश होने से ही उसे बादल फटना कहते हैं। अक्सर लोग बादल फटने से अनुमान लगाते है कि बादल ही फट गया है।  इतना ही नहीं आम लोग भी बादल फटने के बारे में भी पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं। "

PICS FROM SOCIAL MEDIA 


INDIA : पिछले दिनों जम्मू के किश्तवाड़ जिले के होंजार में बादल फटने और बाढ़ के कारण कई घर बर्बाद हो गए।  कई की मौत हो गयी और कई तो अभी भी लापता हैं। वहीं , कोलकाता सहित बंगाल के कई जिलों में भी इन दिनों बारिश ज्यादा हुई हैं। 

बुधवार और गुरुवार को भी बंगाल के कुछ जिलों में भारी बारिश होने की आशंका जताई जा रही हैं।  हालाँकि , यहाँ बारिश सामान्य से ज्यादा होती है लेकिन इसे बादल फटना नहीं कहते हैं।  जबकि भारत के उत्तरी- पूर्वी हिस्सों यानि जम्मू , उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में ज्यादा बारिश होने से ही उसे बादल फटना कहते हैं। 

अक्सर लोग बादल फटने से अनुमान लगाते है कि बादल ही फट गया है।  इतना ही नहीं आम लोग भी बादल फटने के बारे में भी पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं।  कुछ लोग के अनुसार बादल का गिरना ही बादल फटना होता है।  मगर क्या यह सही है ? जी नहीं , बादल फटने का मतलब ये नहीं होता है। 

 तो आइये हम जानते है, आखिर बादल फटने का असली और वैज्ञानिक मतलब क्या है और ये बादल फटते क्यों हैं ? 


बादल फटने का मतलब ये होता है 

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार , अगर एक घंटे में छोटे इलाके यानि एक से दस किलोमीटर इलाके में 10  सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है तो उसे मौसम विभाग की भाषा में बादल फटना कहा जाता है।  

कभी - कभी किसी जगह पर एक से ज्यादा बादल फट सकते हैं जिसमें जान - माल का काफी नुकसान होता है।  मगर, हर बारिश बादल फटना नहीं कहलाती है।  इसकी भी अलग वजह है।  


बादल फटने के कई है कारण 

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक , बादल फटना भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर  करता है।  बादल फटने की ज्यादा घटना मानसून या मानसून से ठीक पहले यानि प्रे - मानसून के दौरान होती हैं। ये मई से अगस्त महीने तक होती है। 

जम्मू में बादल फटने की घटना के पीछे भी मानसून और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक कारण है। दरअसल, मानसून की हवाएं दक्षिण में अरब सागर से अपनी कुछ नमी लेकर आती है और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण भूमध्यसागर से चलने वाली हवाएं कुछ नमी लेकर आती है। 

इसके बाद दोनों आपस में टकराती है जिससे कम समय में ज्यादा नमी इकट्ठा होकर छोटे इलाके के ऊपर बादल बन जाते हैं और वहां कम समय में ही इतनी बारिश हो जाती है जिसे बादल फटना कहते है।  यही है बादल फटने की असली वजह।  


पहाड़ों और उत्तरी - पूर्वी हिस्सों में ज्यादा बादल फटते है 

मौसम विशेषज्ञ भी यही कहते है कि पहाड़ों और भारत के उत्तरी -पूर्वी हिस्सों में ज्यादा बादल फटते है।  इसका कारण यह भी है कि यहाँ बादल फटने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां मिलती है। हालाँकि समतल इलाके में भी बादल फट सकते हैं इसमें भी दोराय नहीं है लेकिन वहां मौसमी परिस्थितयां ज्यादा अनुकूल नहीं होती हैं। 

 वहीं इस बारे में भी गौर करने वाली बात है कि अगर एक घंटे में 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाये तो उसे बादल फटना भी नहीं कहते है। हमारे देश में चेरापूंजी एक ऐसी जगह है जहाँ साल भर बारिश होती है और बदल भी फटते है लेकिन वहां इससे कोई नुकसान नहीं होता है।  

दरअसल , अगर ज्यादा बारिश हुई और आसपास कोई बड़ा जलाशय हुआ या नदी या झील होती है तो वहां बाढ़ जैसी स्थिति बनती है और काफी नुकसान भी होती है।  


बादल फटने का पूर्वानुमान लगाना है मुश्किल 

मौसम विशेषज्ञों का कहना है, बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है।  अनुमान तो गलत भी हो सकते है लेकिन बादल फटने का अनुमान लगाना संभव नहीं है। ये बारिश की तेज पर ही निर्भर करता है। पहाड़ी इलाकों में बारिश ज्यादा होने और ऊंचाई के कारण बादल ज्यादा फटते है।  


बंगाल में दो दिनों तक लगातार बारिश के आसार 

मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार , बुधवार और गुरुवार बंगाल में बारिश की संभावना है।  बुधवार को बंगाल के मुख्यत : उत्तरी बंगाल जैसे जलपाईगुड़ी , अलीपुरदुआर , कलिम्पोंग , दार्जीलिंग , कूचबिहार , उत्तर और दक्षिण 24 परगना , पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर , हावड़ा और नदिया जिले में 7 - 11 सेंटीमीटर बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया गया है। 

 वहीं गुरुवार को भी उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले और मेदिनीपुर जिले में भी बारिश की संभावना जताई जा रही है।  

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