- बारिश के मौसम में ही नहीं बल्कि क्लाइमेट चेंज का होता है इथेनॉल अल्कोहल पर असर
- यूरोपियन देशों की भांति भारत सरकार को भी कुछ कदम उठाने की जरूरत : पर्यावरणविद्
" इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल से हर मौसम में समस्या हो सकती है क्योंकि बारिश का कोई मौसम अभी फिक्स नहीं है। बारिश का पानी इथेनॉल के लिए सबसे प्रिय है। दरअसल , इथेनॉल बारिश के पानी और मॉइस्ट को तुरंत ही अवशोषित कर लेता है। देश में करीब 80 प्रतिशत पेट्रोल ही E -10 पेट्रोल है यानी पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाकर ही अब पेट्रोल वाहनों में भरा जा रहा है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि देश में प्रदूषण कम हो। इथेनॉल एक नॉन - टॉक्सिक और बायोडिग्रेडेबल फ्यूल है। इससे प्रदूषण कम होती है। ये बहुत ही अच्छी तरह से इतेमाल किया जा सकता है और ये बहुत सुरक्षित भी है। मगर, कुछ कारणों से इस petrol blending के कारण वाहनों के मालिकों को असुविधा हो रही है और उसका खामियाजा पेट्रोलियम डीलर्स को उठाना पड़ रहा है। इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल से वाहन ख़राब हो रहे हैं।"
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demands of west bengal petroleum dealers association's |
BENGAL/PETROL PUMP STRIKE: इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल के इस्तेमाल और उससे होने वाली परेशानियों सहित कई मांगों को लेकर आज पूरे बंगाल के 3200 पेट्रोल पंप पर वेस्ट बंगाल पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने हड़ताल बुलाई है। उनकी इस हड़ताल पर Climatologist और Environmentalist के समूहों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उनका मानना है कि पेट्रोलियम डीलर्स जिन परेशानियों की बात कर रहे हैं वो पूरी तरह सही नहीं है। इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल से केवल बारिश में ही परेशानी हो रही है ऐसा नहीं है। इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल से हर मौसम में समस्या हो सकती है क्योंकि बारिश का कोई मौसम अभी फिक्स नहीं है।
बारिश का पानी इथेनॉल के लिए सबसे प्रिय है। दरअसल , इथेनॉल बारिश के पानी और मॉइस्ट को तुरंत ही अवशोषित कर लेता है। देश में करीब 80 प्रतिशत पेट्रोल ही E -10 पेट्रोल है यानी पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाकर ही अब पेट्रोल वाहनों में भरा जा रहा है।
ऐसा इसलिए किया गया ताकि देश में प्रदूषण कम हो। इथेनॉल एक नॉन - टॉक्सिक और बायोडिग्रेडेबल फ्यूल है। इससे प्रदूषण कम होती है। ये बहुत ही अच्छी तरह से इतेमाल किया जा सकता है और ये बहुत सुरक्षित भी है।
मगर, कुछ कारणों से इस blended petrol के कारण वाहनों के मालिकों को असुविधा हो रही है और उसका खामियाजा पेट्रोलियम डीलर्स को उठाना पड़ रहा है। इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल से वाहन ख़राब हो रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी मोटरसाइकिल चलाने वालों को हो रही है।
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one of the petrol pump where strike imposed |
आखिर क्या हो रही है परेशानी
जानकारी के मुताबिक , मोटरसाइकिल का फ्यूल टैंक सामने की तरफ रहता है। बारिश का पानी फ्यूल टैंक के ऊपर गिरता है। ऐसे में पेट्रोल में मिली इथेनॉल अल्कोहल , पानी और मॉइस्ट को तुरंत अवशोषित कर लेती है। इससे होता ये है मोटरसाइकिल के फ्यूल टैंक में दो लेयर बन जाती है।
सबसे नीचे आ जाता है इथेनॉल और पानी और ऊपर रहता है पेट्रोल। ऐसे में जब वाहन स्टार्ट किया जाता है तो इथेनॉल और पानी पहले फ्यूल टैंक से फ्यूल लाइन, फिर फ्यूल पंप में और फिर वहां से सीधे फ्यूल इंजन में पहुँचता है जिससे मोटरसाइकिल स्टार्ट नहीं हो पाती है और इंजन और स्पेयर पार्ट्स में खराबी आ जाती है।
वहीं इस मामले में Climatologist का कहना है , ये परेशानी सिर्फ बारिश के मौसम में होती है ऐसा नहीं है। हमारा देश ट्रॉपिकल क्लाइमेट के अंतर्गत पड़ता है और आजकल दिन ब दिन मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है। अभी ये भी देखा जा रहा है कि बारिश का कोई निर्दिष्ट समय या मौसम नहीं है , ऐसे में बारिश किसी भी मौसम में हो सकती है।
बारिश होने से ही ये समस्या जरूर होगी। इसलिए सिर्फ बारिश के मौसम में इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल की सप्लाई बंद कर देने से ही इस समस्या का समाधान संभव नहीं हैं।
यूरोपियन देशों में इस पद्धति पर इस्तेमाल हो रहा है इथेनॉल
पर्यावरणविद् सौमेंद्र मोहन घोष ने बताया , यूरोपियन देशों में इथेनॉल के इस्तेमाल से कोई परेशानी नहीं हो रही है। इथेनॉल अल्कोहल पर्यावरण के लिए बहुत ज्यादा फ्रेंडली है मगर इसके इस्तेमाल के लिए भी जरूरी है कुछ कदम उठाने की जो यूरोपियन देश उठाते हैं।
यूरोपियन देशों में इस ब्लेंडेड पेट्रोल के इस्तेमाल वाले वाहनों को लेकर अलग से नोटिफिकेशन जारी की गई है। 1 सितम्बर से पूरे यूरोपियन देशों में इस ब्लेंडेड पेट्रोल को लागू कर दिया जाएगा।
2011 साल (non BSIV) से पहले के वाहन इस पेट्रोल के लिए उपयुक्त नहीं है। इस बाबत वहां इन वाहनों के लिए अलग पेट्रोल की व्यवस्था है लेकिन भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
यहाँ पहले 5 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल की शुरुआत की गयी थी जो अब 10 प्रतिशत इथेनॉल मिक्स पर पहुँच गई है। 2024 में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल लाने की योजना है। इस पर घोष बताते है , जब 10 प्रतिशत में ये समस्या है तो 20 प्रतिशत होने पर क्या होगा , इसका अंदाजा अभी से ही लगाया जा सकता है।
उन्होंने बताया , जितने भी विकसित और यूरोपियन देश है वहां गेहूं, गन्ने , भुट्टा और मकई से इथेनॉल अल्कोहल बनाया जाता है लेकिन हमारे देश में केवल गन्ने से ही इथेनॉल अलकोहल बनाये जा रहे हैं। इसमें पानी की मात्रा ज्यादा रहती है। ऐसे में इथेनॉल अलकोहल सप्लाई करने वाले पानी की मात्रा कम हो इसके कोई कदम उठा रहे है या नहीं , इस पर ध्यान देने की जरूरत है जो नहीं किया जा रहा है।
इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल को हटाने की जगह ये करना होगा ये उपाय
पर्यावरणविद् सौमेंद्र मोहन घोष का कहना है , इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल को सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए प्रत्येक वाहनों में एयरटाइट फ्यूल टैंक (Double cap) का होना जरूरी है। चाहे वो मोटरसाइकिल हो या चार पहिये वाहन। ऐसा होने से पानी या मॉइस्ट फ्यूल टैंक में प्रवेश नहीं करेगी और इंजन और स्पेयर पार्ट्स में corrosion भी नहीं होगी।
इसके साथ ही वाहन में कोई खराबी नहीं आएगी और पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा। वहीं सरकार को ये नोटिफिकेशन जारी करने की जरूरत है कि 2011 साल (non BSIV) से पुराने वाहन में इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल न डाले जाए। इनके लिए अलग gasohol की व्यवस्था करने की जरूरत है।
वहीं विकसित देशों की तरह यहाँ कम्पेटिबिलिटी चेकर लगाने की आवश्यकता है। इसके अलावा 2011 साल (non BSIV) से पुराने वाहन में इथेनॉल की मात्रा 5 प्रतिशत कर के भी तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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