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Thursday, August 19, 2021

BENGAL POLITICS : रवीन्द्रनाथ टैगोर काले थे या गोरे ? इस पर छिड़ी राजनीतिक जंग

  • आखिर रवीन्द्रनाथ के त्वचा के रंग का उल्लेख करने का बीजेपी सांसद को क्यों पड़ी जरुरत ?
  • टीएमसी से लेकर अन्य पार्टियों ने उठाया सवाल, कहा - ये बंगाल के महापुरुषों का अपमान है 

"जब वे विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे तब उन्होंने कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के त्वचा के बारे में कह डाला कि वे काले थे।  काले होने के कारण उनकी माँ और परिवार के दूसरे सदस्य उनको गोद में नहीं लेते थे।  मगर उन्हीं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत के लिए दुनिया जीती थी। उनका कहना था , दो तरह के त्वचा के लोग होते हैं।  एक जो पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोर होते हैं और दूसरे लाल रंग की आभा लिए गोरे होते हैं।  टैगोर दूसरी श्रेणी में आते हैं।  उनके बयान के बाद बंगाल में सियासी पारा चढ़ गया और टीएमसी से लेकर अन्य राजनीतिक पार्टियों ने इसे कविगुरु का अपमान और बंगाल का अपमान बताया। " 

RABINDRANATH TAGORE (pics from social media)


BENGAL POLITICS: बंगाल की राजनीति में हमेशा ही कुछ न कुछ देखने को मिलता है। बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही बंगाल की राजनीति में उबाल देखा जा रहा है। टीएमसी और बीजेपी में कुछ न कुछ बातों को लेकर अक्सर ही विवाद होता है। 

अब फिर एक बार बीजेपी सांसद के कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के रंग को लेकर दिए गए बयान पर बंगाल में राजनीति उबाल पर है। बीजेपी सांसद के इस बयान को लेकर न सिर्फ टीएमसी बल्कि सीपीएम तथा शिक्षाविदों ने भी कड़े शब्दों में निंदा की है। 

एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कविगुरु के चित्त जेथा भय शून्यों से प्रेरित है और सदा ही उनका गुणगान करते हैं वहीं उनके पार्टी के नेता ऐसे महान और नोबेल विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में विवादित बयान देकर फंसते नजर आ रहे हैं।  


ऐसे हुई थी विवाद की शुरुआत 

विवाद की शुरुआत बीरभूम जिले में स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में बांकुड़ा से बीजेपी सांसद और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम से हुई है।  दरअसल , सुभाष सरकार शांतिनिकेतन के दौरे पर थे।  

जब वे विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे तब उन्होंने कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के त्वचा के बारे में कह डाला कि वे काले थे।  काले होने के कारण उनकी माँ और परिवार के दूसरे सदस्य उनको गोद में नहीं लेते थे।  मगर उन्हीं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत के लिए दुनिया जीती थी। 

उनका कहना था , दो तरह के त्वचा के लोग होते हैं।  एक जो पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोर होते हैं और दूसरे लाल रंग की आभा लिए गोरे होते हैं।  टैगोर दूसरी श्रेणी में आते हैं।  उनके बयान के बाद बंगाल में सियासी पारा चढ़ गया और टीएमसी से लेकर अन्य राजनीतिक पार्टियों ने इसे कविगुरु का अपमान और बंगाल का अपमान बताया।  


विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ ही शिक्षाविदों ने हैरत जताई 

बीजेपी सांसद सुभाष सरकार ने अपने बयान को जायज ठहराया और कहा , उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर के सम्मान में उक्त बात कही थीं।  वहीं टीएमसी से लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और शिक्षाविदों ने बीजेपी सांसद के बयान पर हैरत जताई और कहा उनका रवीन्द्रनाथ टैगोर के रंग के बारे में बोलना शोभा नहीं देता है। 

आखिर उन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर के त्वचा के रंग पर टिप्पणी करने की जरुरत क्यों महसूस हुई ? राजनीतिक दलों का कहना है कि वहां इस तरह का कोई कार्यक्रम नहीं था फिर भी उनका इस तरह से रंग को लेकर कविगुरु के बारे में बोलना बंगाल के लिए अपमानजनक है। 

 इतना ही नहीं राजनीतिक दलों ने मंत्री के इस टिप्पणी को रंगभेदी और बंगाल के महापुरुषों का अपमान बताया।  कुछ राजनेताओं का कहना है , बीजेपी नेताओं को टैगोर के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसलिए वे उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।  

वहीं टीएमसी के एक नेता ने इस बयान पर चुटकी लेते हुए कहा, सुभाष बाबू को आखिर रवीन्द्रनाथ टैगोर के रंग का पता कैसे चला ? क्या वो कविगुरु रवीन्द्रनाथ से पहले पैदा हुए थे ?  टीएमसी के एक और नेता ने कहा, सुभाष सरकार को इतिहास की कोई जानकरी नहीं हैं। 

यह सब जानते हैं कि रवीन्द्रनाथ टैगोर की त्वचा का रंग गोरा था। वहीं सीपीएम ने भी इस बयान की निंदा की।  सीपीएम की तरफ से कहा गया , बीजेपी मंत्री का ये बयान बंगाली - विरोधी मानसिकता की परिचायक है। उनका आरोप है कि बीजेपी धर्म और जाति के आधार पर देश को बांटती रही है। 

अब बीजेपी ने समाज को बांटने के लिए त्वचा के रंग को भी मुद्दा बना लिया है।  वहीं शिक्षाविदों ने भी इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।  उनका भी कहना है , कि आखिर सुभाष सरकार ने ऐसा बयान क्यों दिया ? क्या उन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में कोई जानकारी नहीं है ? नोबेल हासिल करने और कालजयी कृतियाँ रचने में त्वचा के रंग की क्या भूमिका है ? ये हमारी समझ से परे हैं।  

वहीं बीजेपी ने सुभाष सरकार के इस बयान का बचाव किया और कहा , उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर और उनके परिवार को लेकर कोई निंदा नहीं की है बल्कि वे त्वचा के रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ बोल रहे थे।  बेवजह ही इस मामले को तूल दिया जा रहा है।  

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