- Transgenders अब identity card के लिए कर सकते हैं आवेदन , केंद्र सरकार ने शुरू की है portal
- 2021 के अगस्त महीने तक 3569 आवेदन मिले जिनमें 2973 वैध
- आंध्रप्रदेश से सबसे ज्यादा मिले हैं एप्लीकेशन
"वर्ष 2015 में बंगाल के नदिया जिले में विमेंस कॉलेज में देश की पहली ट्रांसजेंडर को प्रिंसिपल बनाया गया था। वो प्रिंसिपल थी मानबी बंद्योपाध्याय। मानबी ने ट्रांसजेंडर समाज में एक उदाहरण पेश किया और दुनिया को ये बता दिया था कि अगर मन में कुछ हासिल करने की ललक हो तो लिंग भी उसका रास्ता नहीं रोक सकता है। ट्रांसजेंडर सिर्फ सड़कों पर भीख मांगने के लिए नहीं पैदा होते हैं। इसके बाद से ही ट्रांसजेंडर में भी बदलाव देखा जाने लगा है। वे अपनी इमेज बदल रहे हैं और समाज के सामने साबित कर रहे हैं कि वे भी आम लोगों की ही तरह है और वो भी अन्य लोगों की तरह ऊचे पदों पर तैनात हो सकते हैं। अब उनके प्रति लोगों का नजरिया भी बदल रहा है। ट्रांसजेंडर को पहचान दिलाने के लिए केंद्र सरकार भी कदम उठा रही हैं। पिछले एक साल से ट्रांसजेंडर के लिए केंद्र सरकार काम कर ही हैं उनमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए नेशनल पोर्टल शामिल है। "
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नयी दिल्ली : हमारे समाज में महिला और पुरुष के अलावा एक और लिंग है वो है ट्रांसजेंडर यानी उभयलिंग का। हमारा समाज जितना भी आगे बढ़ जाए ट्रांसजेंडर को लेकर हर किसी की मानसिकता नहीं बदल सकती हैं। ट्रांसजेंडर में अभी बहुत ऐसे ट्रांसजेंडर है जो रास्ते में भीख मांगकर या गाना गाकर लोगों का मनोरंजन नहीं करते हैं बल्कि वो अच्छे - अच्छे पदों पर भी तैनात हो रही हैं।
इसका सबसे पहला उदाहरण बंगाल में देखने को मिला था। वर्ष 2015 में बंगाल के नदिया जिले में विमेंस कॉलेज में देश की पहली ट्रांसजेंडर को प्रिंसिपल बनाया गया था। वो प्रिंसिपल थी मानबी बंद्योपाध्याय।
मानबी ने ट्रांसजेंडर समाज में एक उदाहरण पेश किया और दुनिया को ये बता दिया था कि अगर मन में कुछ हासिल करने की ललक हो तो लिंग भी उसका रास्ता नहीं रोक सकता है।
ट्रांसजेंडर सिर्फ सड़कों पर भीख मांगने के लिए नहीं पैदा होते हैं। इसके बाद से ही ट्रांसजेंडर में भी बदलाव देखा जाने लगा है। वे अपनी इमेज बदल रहे हैं और समाज के सामने साबित कर रहे हैं कि वे भी आम लोगों की ही तरह है और वो भी अन्य लोगों की तरह ऊचे पदों पर तैनात हो सकते हैं।
अब उनके प्रति लोगों का नजरिया भी बदल रहा है। ट्रांसजेंडर को पहचान दिलाने के लिए केंद्र सरकार भी कदम उठा रही हैं। पिछले एक साल से ट्रांसजेंडर के लिए केंद्र सरकार काम कर ही हैं उनमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए नेशनल पोर्टल शामिल है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वर्ष 2020 के 25 नवंबर को ट्रांसजेंडर को पहचान पत्र और सर्टिफिकेट देने के लिए 'नेशनल पोर्टल फॉर ट्रांसजेंडर पर्सन ' (एनपीटीपी) की शुरुआत की है।
मगर आश्चर्य कि बात ये है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए जारी किये गए पोर्टल में कुछ आवेदन फ़र्ज़ी भी मिल रहे हैं यानी ट्रांसजेंडर बनकर भी लोग आवेदन कर रहे हैं।
मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी एक अनुसार, इस राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से कोई भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपना पहचान प्रमाण पत्र और पहचान पत्र बिना ऑफिस में उपस्थित हुए ही हासिल कर सकता हैं।
उस व्यक्ति को सिर्फ ऑनलाइन के जरिये इस पोर्टल पर जाना होगा। दरअसल , इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति देश के किसी भी राज्य से ऑनलाइन के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और ये आवेदन सीधे सक्षम प्राधिकारी के पास पहुंच जाता है।
इतना ही नहीं आवेदक का अगर पहचान पत्र और पहचान प्रमाण पत्र जारी हो जाता है तो आवेदक उसे ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकते हैं।
Identity Card और Certificate मिलने पर ट्रांसजेंडर को मिलती है ये सुविधा
मंत्रालय सूत्रों ने बताया , जिन ट्रांसजेंडर को पहचान प्रमाण पत्र और पहचान पत्र मिल जाता है , वो ट्रांसजेंडर व्यक्ति ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स ) एक्ट 2019 , के तहत अपने बर्थ सर्टिफिकेट सहित अन्य दस्तावेज में अपना पहला नाम बदल सकते हैं।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया , ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स ) एक्ट 2019 , के प्रावधान 2020 के 10 जनवरी से लागु किये गए थे। इसे अंतिम रूप देने से पहले सुप्रीम कोर्ट के नियम और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित सभी स्टेक होल्डरों के सुझावों पर गंभीरता से विचार किया गया था।
ट्रांसजेंडर valid application में आंध्रप्रदेश है सबसे आगे
मंत्रालय सूत्रों ने बताया , 2021 , अगस्त महीने तक के आंकड़ों के अनुसार ट्रांसजेंडर के लिए चालू की गयी नेशनल पोर्टल पर पहचान पत्र और पहचान प्रमाण पत्र के लिए वैध एप्लीकेशन 2973 मिली , जिनमें 1908 ट्रांसजेंडर को पहचान पत्र और पहचान प्रमाण पत्र जारी किये जा चुके हैं।
इनमें आंध्रप्रदेश से सबसे ज्यादा एप्लीकेशन आयी है। मंत्रालय सूत्रों ने बताया , आंध्रप्रदेश से कुल 1216 एप्लीकेशन प्राप्त हुए जिनमें 1052 वैलिड यानी वैध एप्लीकेशन थे। इनमें से 778 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान पत्र और पहचान प्रमाण पत्र जारी किये जा चुके हैं।
वहीं, दूसरे स्थान पर ओड़िसा है जहाँ से कुल एप्लीकेशन 976 मिली थी जिनमें 859 वैध एप्लीकेशन थी जिनमें से अब तक 677 आवेदकों को पहचान पत्र और सर्टिफिकेट जारी की गयी है।
वहीं तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है जहाँ 317 कुल एप्लीकेशन मिली जिनमें देखा गया 292 ही असली ट्रांसजेंडर है। इनमें से 209 आवेदकों को पहचान पत्र और पहचान प्रमाण पत्र जारी किये गए हैं।
वहीं चौथे नंबर पर गुजरात है जहाँ से कुल एप्लीकेशन 262 मिली जिनमें 218 वैध थी जिनमें से 156 आवेदकों को दिया गया है पहचान पत्र और सर्टिफिकेट
जबकि पांचवें नंबर पर पुडुचेरी है जहाँ से 121 एप्लीकेशन मिले जिनमें 79 वैध है और जिनमें से 24 को दिया गया है पहचान पत्र और सर्टिफिकेट। छठवें नंबर पर तमिलनाडु है जहाँ से कुल आप्लिकेशन 114 मिला जिनमें से 53 वैध और 1 को मिली है आइडेंटिटी कार्ड और सर्टिफिकेट।
वहीं सातवें नंबर पर केरल और आठवें नंबर महाराष्ट्र है। वहीं नौवें नंबर पर तेलंगाना और दसवें नंबर पर उत्तरप्रदेश है। पश्चिम बंगाल तेरहवें स्थान पर जहाँ 23 एप्लीकेशन मिले जिनमें 17 वैध थे और उनमें से सिर्फ 1 को ही पहचान पत्र और सर्टिफिकेट जारी किया गया है।
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