- फेसबुक पोस्ट कर President ने कहा - मेरे सामने थे दो रास्ते, 'या तो मैं तालिबान के सामने खड़ा हो जाऊं या देश छोड़ दूँ '
"अफगानिस्तान पर इस वक़्त तालिबान का लगभग पूरा कब्ज़ा हो चुका है। तालिबान काबुल में भी घुस चुके हैं। दरअसल , तालिबान उस समय और ज्यादा तेजी से काबुल की और बढ़ने लगे जब उन्हें भनक लगी कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी सपरिवार देश छोड़कर भाग गए हैं। हालाँकि सरकारी तौर पर पहले इसकी पुष्टि नहीं की गयी थी लेकिन बाद में अशरफ गनी के पोस्ट ने सब कुछ साफ़ कर दिया। इसके बाद अब अफगानिस्तान के हाई कॉउंसिल फॉर नेशनल रिकॉन्सीलिएशन कि तरफ से बाद में इसकी पुष्टि कर दी गई और राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस कदम की आलोचना भी की गयी। "
PRESIDENT ASHRAF GHANI (pics from facebook)
दुनिया : अफगानिस्तान से अमरीकी सेना के वापस बुलाने के अमरीका के फैसले के बाद से ही अफगानिस्तान की हालत बिगड़ने लगी थी। इसका कारण तालिबान थे।
अब अफगानिस्तान के हालात नियंत्रण से बाहर चले गए हैं। अफगानिस्तान पर इस वक़्त तालिबान का लगभग पूरा कब्ज़ा हो चुका है।
तालिबान काबुल में भी घुस चुके हैं। दरअसल , तालिबान उस समय और ज्यादा तेजी से काबुल की और बढ़ने लगे जब उन्हें भनक लगी कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी सपरिवार देश छोड़कर भाग गए हैं।
हालाँकि सरकारी तौर पर पहले इसकी पुष्टि नहीं की गयी थी लेकिन बाद में अशरफ गनी के पोस्ट ने सब कुछ साफ़ कर दिया।
इसके बाद अब अफगानिस्तान के हाई कॉउंसिल फॉर नेशनल रिकॉन्सीलिएशन कि तरफ से बाद में इसकी पुष्टि कर दी गई और राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस कदम की आलोचना भी की गयी।
काबुल के हालात अभी और ज्यादा बेकाबू हो गए हैं। काबुल एयरपोर्ट का मंजर बेहद ही डरावना है। लोग देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर पहुँच चुके हैं लेकिन वहां का मंजर बेहद ही अलग है।
खबर ये है कि वहां गोलीबारी हुई है। गोलीबारी में अब तक 5 से ज्यादा लोगों की मरने की खबर है। जब देश ऐसी हालात से गुजा रहा है वैसे में देश की बागडोर सँभालने वाले ही गायब है।
जी हाँ यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की बात की जा रही है। देश को ऐसी मुश्किल हालत में छोड़कर एक राष्ट्रपति का यूँ भाग जाना देश के जनता के साथ विश्वासघात करना जैसा है।
हालांकि, अशरफ गनी देश को छोड़कर जाने को लेकर सफाई दते हुए भी दिखें हैं। उन्होंने फेसबुक पोस्ट कर देश छोड़ने को लेकर अपनी सफाई दी है। अशरफ गनी ने दो रास्तों में से एक रास्ता चुना अपने देश को छोड़कर जाने का।
फेसबुक पोस्ट पर लिखा देश छोड़ने का कारण
अशरफ गनी ने फेसबुक पोस्ट पर अफगान नागरिकों को सम्बोधित करते हुए अपने देश छोड़ने का कारण बताया और कहा, देश छोड़ने का फैसला बेहद कठिन था। लेकिन उन्होंने ये फैसला रक्तपात को रोकने के लिए लिया है। उनके रहते अगर तालिबान , काबुल में प्रवेश करते तो झड़प होती और लाखों जिंदगियां खतरें में पड़ जाती।
भीषण नरसंहार होता। अशरफ गनी ने अपने पोस्ट पर लिखा है ' आज मुझे एक मुश्किल फैसला करना था कि या तो मैं सशस्त्र तालिबान जो की महल (राष्ट्रपति भवन ) में दाखिल होना चाहते थे उनके सामने खड़ा हो जाऊं या फिर अपने प्यारे मुल्क जिसकी मैंने 20 सालों से सुरक्षा के लिए अपनी जिंदगी लगा दी उसे छोड़ दूँ।
अगर इस दौरान अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती।' इस पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा है कि ' तालिबानों ने तलवारों और बंदूकों की नोक पर जीत हासिल कर ली है और अब मुल्क के आवाम की जान -माल , सम्मान और इज्जत की हिफाजत की जिम्मेदारी तालिबान पर है।
मगर वो दिल को नहीं जीत सकते हैं। इतिहास में कभी भी किसी को ताकत से ये हक़ नहीं मिला है और न ही मिलेगा। अब उन्हें ऐतिहासिक परीक्षा का सामना करना है। या तो वे अफगानिस्तान का नाम और इज्जत बचाएंगे या दूसरे इलाके और नेटवर्क्स। उन्होंने आगे लिखा ' कई लोग और कई अक्शर अभी डर में है और भविष्य को लेकर चिंतित है।
अभी तालिबान के लिए ये बेहद जरुरी है कि वे अफगनिस्तान की जनता, विभिन्न सेक्टर, बहनों और महिलाओं को वैधता का आश्वासन दें और उनका दिल जीतें। कुछ करने के लिए स्पष्ट योजना बनाये और उसे पब्लिक के साथ साझा करें। मैं हमेशा एक बौद्धिक क्षण और विकसित करने की योजना के साथ देश की सेवा जारी रखूँगा। भविष्य के लिए और भी बहुत सी बातें हैं। लम्बे समय तक अफगानिस्तान जिन्दा रहें।
अशरफ गनी देश छोड़कर पहुंचे है यहाँ
काबुल में हालात बिगड़ते देख अशरफ गनी ने अपना लोटा - कम्बल समेट लिए और देश छोड़कर चल दिए। सूत्रों के हवाले से बताया गया है, अशरफ गनी अभी ओमान में हैं। दरअसल , तालिबान के काबुल पर कब्ज़े के बाद अशरफ गनी प्राइवेट विमान से ताजीकिस्तान निकले थे।
मगर वहां उनके विमान को लैंडिंग करने की अनुमति नहीं मिली जिसके बाद वो ओमान चले गए। हालाँकि सूत्र बताते है कि वो अब अमरीका जाने की योजना बना रहे हैं।
अशरफ गनी के बारे में एक नजर में
अशरफ गनी का राजीनीति करियर बेहद सफल था। वो दो बार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बनाये गए थे। वर्ष 2014 और 2019 में वो राष्ट्रपति चुने गए थे। वो एक पूर्व तकनीक शास्त्री है और देश के चर्चित शिक्षाविद भी है। उनका अधिकतर समय अफगानिस्तान के बाहर बीता है।
कई सालों के युद्ध के बाद वो वापस देश आये और देश के विकास में जुट गए। जब वे देश के राष्ट्रपति बनाये गए तब उनकी छवि बेहद ईमानदार शख्स की थी। बाद में उनके गुस्सैल मिजाज भी सामने आने लगे और लोग उन्हें गुस्सैल शख्स के तौर पर भी जानने लगे।
गनी देश के बहुसंख्यक पश्तून समुदाय से हैं और वे उस वक़्त सत्ता में काबिज हुए जब 2014 में अधिकतर विदेशी सैनिक देश छोड़कर जा रहे थे। उन्होंने देश से विदेशी सैनिकों के जाने और तालिबान से शांति वार्ता को लेकर हमेशा सक्रिय रहे लेकिन तालिबान हमेशा उनकी सरकार को अमरीका का कठपुतली कहता रहा।
मालूम हो कि रविवार को तालिबान की ओर से बताया गया कि देश में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए उन इलाकों पर अपना नियंत्रण जमा रहे हैं जहाँ से सैन्य बल हट चुके हैं। इसके बाद से ही अफगानिस्तान और काबुल के हालात बेकाबू हो गए।
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