- कोई आईपीएस तो कोई NHAI का चेयरमैन तो कोई IAS बनकर लोगों को लगा रहा है चूना
- पुलिस ही नहीं अब तो सीबीआई भी चला रही है धर - पकड़ अभियान
"इन अधिकारियों के ठांठ- बांठ को देखकर इनकी असलियत समझना बेहद ही मुश्किल है जैसे असली और नकली सामान में अंतर समझना। इन फ़र्ज़ी और नकली आईपीएस , आईएएस , वरिष्ठ अधिकारियों की पोल उस समय खुलती है जब लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। किसी मामले में ये भी देखा गया है कि इन फ़र्ज़ी अधिकारियों की ओवर एक्टिंग ने ही इन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। इन फ़र्ज़ी अधिकारियों की पोल खोलने में अब पुलिस ही नहीं बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई भी कूद पड़ी है। ऐसे ही एक मामले में सीबीआई ने एक फ़र्ज़ी अधिकारी को 80 लाख रुपये की ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। "
BENGAL : अब तक आपने नकली और मिलावटी चीज़ों की मार्केट में भरमार की खबरें सुनी और देखी होंगी। खाने - पीने की चोजों में मिलावट भी अब आम बात हो गई है। अब तक लोग नकली और मिलावटी चीज़ों और सामानों से परेशान थे पर अब एक नयी मुसीबत इन दिनों सिर चढ़कर तांडव मचा रही हैं , वो है फ़र्ज़ी अधिकारियों की।
इन अधिकारियों के ठांठ- बांठ को देखकर इनकी असलियत समझना बेहद ही मुश्किल है जैसे असली और नकली सामान में अंतर समझना। इन फ़र्ज़ी और नकली आईपीएस , आईएएस , वरिष्ठ अधिकारियों की पोल उस समय खुलती है जब लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं।
किसी मामले में ये भी देखा गया है कि इन फ़र्ज़ी अधिकारीयों की ओवर एक्टिंग ने ही इन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। इन फ़र्ज़ी अधिकारियों की पोल खोलने में अब पुलिस ही नहीं बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई भी कूद पड़ी है।
ऐसे ही एक मामले में सीबीआई ने एक फ़र्ज़ी अधिकारी को 80 लाख रुपये की ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान मनोज कुमार झा के रूप में हुई है।
वो बिहार के मधुबनी का रहने वाला है। इस मामले में दिल्ली , कोलकाता, मधुबनी और बोकारो स्टील सिटी में छापामारी अभियान चलाकर कई संदिग्ध दस्तावेज और करीब 200 पीस सिम कार्ड जब्त की गई है।
क्या है पूरा मामला
सीबीआई सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, NHAI का चेयरमैन बनकर 80 लाख की ठगी की शिकायत सीबीआई में दर्ज कराइ गयी थी। शिकायत के अनुसार मनोज कुमार झा ने खुद को शिकायतकर्ता को NHAI का चेयरमैन बताया था।
दरअसल, उसने पहले शिकायतकर्ता से खुद को NHAI का वरिष्ठ अधिकारी बताया था। इसके बाद जब शिकायतकर्ता ने उससे कुछ बड़े कांट्रेक्टर के साथ विवाद को सुलझाने की बात कहीं थी तब उसने उस शिकायतकर्ता को NHAI चेयरमैन से संपर्क करने को कहा था।
इसके बाद मनोज खुद उससे NHAI का चेयरमैन बनकर बातचीत की थी। इसके बाद मामला सुलझाने का वादा भी किया। इसके बाद उसने शिकायतकर्ता से कहा था कि उसकी बेटी और दामाद को 80 लाख रुपये की जरुरत है। वो कोलकाता में रुपये पहुंचा दे उसके बेटी और दामाद रुपये ले लेंगे।
आरोप है कि हवाला के जरिये रुपये भेजे लेकिन उस रुपये को खुद मनोज ने ही जाकर लिया था। इसके बाद मामले की शिकायत सीबीआई में की गई। शिकायत मिलने के बाद सीबीआई अधिकारी ने मनोज को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया।
इसके बाद उसकी निशानदेही पर दिल्ली से लेकर कोलकाता में छापामारी अभियान चलाया गया। फिलहाल , सीबीआई उसके कब्ज़े से बरामद 200 सिम कार्ड कैसे आये और उसके लिए किसके दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया था , उसकी भी जांच की जा रही हैं। मनोज 9 अगस्त तक सीबीआई के हिरासत में है।
कोलकाता पुलिस ने भी एक फ़र्ज़ी आईपीएस को किया गिरफ्तार
वही, दूसरी तरफ कोलकाता पुलिस ने भी एक फ़र्ज़ी आईपीएस अधिकारी को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान अंकित कुमार सिंह (18 ) के रूप में हुई है। वो हावड़ा का रहने वाला है। वो स्कूल ड्राप आउट है। उसने 11 वीं तक उत्तरपाड़ा से पढाई की थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया , उसने शिकायतकर्ता से व्हाट्सअप के जरिये संपर्क किया और खुद को कोलकाता पुलिस के साइबर सेल पुलिस का आईपीएस ऑफिसर नूरल हुसैन बताया था। अंकित ने कहा था उसके सारे क्रिमिनल केस वो हटा देगा , मगर इसके लिए उसे रुपये देने होंगे। इसके बाद वो पीड़ित से लगातार रंगदारी वसूलने लगा।
इसके अलावा वो वेस्ट बंगाल पुलिस के लोगो और कोलकाता पुलिस के नाम का इस्तेमाल कर लोगों से रुपये ऐंठता था। उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया जहाँ से उसे 13 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उसके कब्ज़े से पुलिस ने एक मोबाइल और सिम कार्ड और कुछ दस्तावेज जब्त की है।
फर्जी आईएएस देबांजन के बाद कोलकाता सहित आस -पास कई फ़र्ज़ी अधिकारी चढ़े हत्थे
जुलाई महीने में सबसे पहले कसबा में वैक्सीन कैंप लगाकर लोगों को एंटी बायोटिक का इंजेक्शन लगाकर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में फ़र्ज़ी आईएएस देबांजन देब को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद सिर्फ कोलकाता में ही नहीं बल्कि जिलों में भी पुलिस ने फ़र्ज़ी अधिकारियों की धर- पकड़ शुरू की।
इसके बाद कहीं से फ़र्ज़ी आईपीएस अधिकारी तो कहीं पर फ़र्ज़ी सीबीआई अधिकारी तो कहीं नार्कोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो का फ़र्ज़ी अधिकारी तो कहीं से फ़र्ज़ी वकील को भी गिरफ्तार किया गया।
इतने सारे फ़र्ज़ी अधिकारियों की गिरफ़्तारी ने असली अधिकारियों के प्रति भी लोगों के संदेह को बढ़ा दिया है।
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