- भारत जीत सकता है और मेडल, अगर एथलीट्स को दी जाए सुविधाएं
- 1980 के बाद भारत 50 वें के भीतर बनाई जगह
- ट्विटर पर उठने लगी एथलीट्स को ट्रेनिंग के दौरान आर्थिक मदद की पेशकश
"गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। इस प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर वो दूसरे एशियाई खिलाड़ी बन गए हैं। वहीं बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं। इस बार हॉकी और भारोत्तालन में भी भारत का शानदार प्रदर्शन रहा। कोविड परिस्थिति में ओलंपिक्स गेम्स को लेकर अनिश्चितता थी लेकिन बावजूद इस बार टोक्यो में ओलंपिक्स गेम्स सफल रहा। भारत के अच्छे प्रदर्शन के बाद भारतीय एथलीट्स की आर्थिक मदद को लेकर ट्विटर पर लोग मुखर हो रहे हैं। दरअसल, ओलंपिक्स गेम्स के दौरान ही कई तरह की खबरें हमारे कुछ एथलीट्स को लेकर सामने आई है। "
INDIA : आज भारत पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है । 1980 के बाद भारत 50 नंबर के भीतर शामिल हो पाया है। यानी भारत 47वें स्थान पर पहुंच गया है। सोना, चांदी और कांस्य मिलाकर भारत ने 7 मेडल हासिल किए है। इस बार 128 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।
गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। इस प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर वो दूसरे एशियाई खिलाड़ी बन गए हैं। वहीं बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं।
इस बार हॉकी और भारोत्तालन में भी भारत का शानदार प्रदर्शन रहा। कोविड परिस्थिति में ओलंपिक्स गेम्स को लेकर अनिश्चितता थी लेकिन बावजूद इस बार टोक्यो में ओलंपिक्स गेम्स सफल रहा। भारत के अच्छे प्रदर्शन के बाद भारतीय एथलीट्स की आर्थिक मदद को लेकर ट्विटर पर लोग मुखर हो रहे हैं।
दरअसल, ओलंपिक्स गेम्स के दौरान ही कई तरह की खबरें हमारे कुछ एथलीट्स को लेकर सामने आई है। इन एथलीट्स ने आर्थिक तंगी में आकर खेलना छोड़ दिया। हालांकि महिला भारोत्तोलन विजेता मीराबाई चानू ने सभी बाधाओं को पार कर अपने सपने को पूरा किया।
हालांकि, वहीं कई एथलीट्स जिनमें कोई बॉक्सर तो कोई वेट लिफ्टर , इसके अलावा भी अन्य खेल से संबद्ध खिलाड़ियों ने तंगी से परेशान होकर इन खेलों से मुंह मोड़ लिया। इसका कारण है कि महंगे कोच ये अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। इनमें से कईयों को खेतों में मजदूरी करते हुए देखा जा रहा है तो कुछ को पार्किंग की जगह में काम करते हुए।
अगर ये खिलाड़ी निरंतर अपनी ट्रेनिंग लेते तो शायद इनका भविष्य कुछ और होता। ये खिलाड़ी भी ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर पाते और भारत के लिए और ज्यादा मेडल ला पाते। इतिहास गवाह है कि भारत में जितना फोकस और लाइम लाइट क्रिकेट को दी जाती है उतना तो हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी को नहीं दी जाती है।
भारत आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। अगर, हमारी सरकार इन खिलाड़ियों को लेकर गंभीरता से सोचे और उनकी आर्थिक मदद की व्यवस्था करें तो शायद भारत भी अमरीका और चीन को टक्कर दे सके। अमरीका और चीन में एथलीट्स को हर संभव मदद सरकार द्वारा की जाती है। तभी दोनों देश के खिलाड़ी आज शिखर पर हैं।
शूटर दादी ने ट्विटर पर खिलाड़ियों को आर्थिक मदद के लिए लगाई गुहार
शूटर दादी प्रकाशी तोमर ने ट्वीट कर उन खिलाड़ियों के लिए आवाज उठाई जो आर्थिक तंगी के कारण खेल को छोड़ने के लिए बाध्य होते हैं। दादी प्रकाशी तोमर ने ट्वीट किया, "मुझे लगता है जितना खिलाड़ियों को मेडल जीतने के बाद दिया जाता है, उसका एक चौथाई हिस्सा उनकी तैयारी के लिए पहले दिया जाए तो हमारे देश में ज्यादा मेडल आ सकते हैं।
बता दें कि मेडल जीतने के बाद खिलाड़ियों को उनकी राज्य सरकार की तरफ से करोड़ों रुपए दिए गए हैं। केंद्र सरकार भी उन्हें रिवार्ड दे रही है। दूसरी तरफ, शूटर दादी की ट्वीट पर लोगों ने भी कॉमेंट कर अपनी सहमति जताई है। अब देखना ये है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
अमरीका ने इस बार भी मारी बाजी, चीन दूसरे नंबर पर
इस बार भी अमरीका ने ओलंपिक्स में अपना डंका बजाया है। अमरीका ने इस बार 113 मेडल हासिल किया है तो चीन ने 88 मेडल लिए है। बता दें कि टोक्यो ओलंपिक्स में इस बार 11000 एथलीट्स ने हिस्सा लिया था। इस बार 340 गोल्ड मेडल जीते गए जबकि 338 सिल्वर मेडल जीते गए।
वहीं खिलाड़ियों ने 402 कांस्य मेडल जीते हैं। बताया जा रहा है कि अगले ओलंपिक्स गेम्स की मेजबानी पेरिस करेगा। 2024 में ओलंपिक्स गेम्स पेरिस में आयोजित होगी।
खेल मंत्रालय करता है मदद तो फिर क्यों है ये दशा
खेल मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार , देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कई खेल खेले जाते हैं। खेल राज्य का विषय होने के कारण पारम्परिक खेलों को पुन: प्रचलित करने का दायित्व राज्य और संघ राज्य की सरकार का होता है।
केंद्र सरकार उनके प्रयासों की पूर्ति करती है। हालाँकि , खेल मंत्रालय 'खेलो इंडिया, राष्ट्रीय खेल विकास कार्यक्रम नामक केंद्रीय सेक्टर स्कीम चलाता है।
जिससे ग्रामीण खेलों को प्रोत्साहित किया जाता है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, देशज खेलों को विश्व स्तर पर प्रचलित करने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रोत्साहन और सहायता दी जा रही है।
अगर , केंद्र सरकार इन खेलों को आर्थिक मदद कर रही हैं तो फिर खिलाड़ी क्यों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और क्यों खेल छोड़कर खेती -बाड़ी और मजदूरी कर रहे हैं ? ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
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