- अक्षय कुमार से उम्मीद ज्यादा थी, मगर वो खरे नहीं उतरे
- लारा दत्ता ने अच्छा अटेम्प्ट किया, इंदिरा गांधी की याद दिला दी
- वाणी कपूर का सस्पेंस लास्ट में आया जो फिल्म के लिए अच्छा रहा
"तो अब हम फिल्म की बात करते हैं । बेल बॉटम मूवी की कहानी 80 के दशक की प्लेन हाईजैक की घटना से संबद्ध है। फिल्म की शुरुआत में ही ये बताया गया है कि फिल्म सत्य घटना पर आधारित है। फिल्म की स्टोरी भी प्लेन हाईजैक, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) पर आधारित है। फिल्म की शुरुआत प्लेन हाईजैक से होती है और फिल्म खत्म भी प्लेन हाईजैक से होती है।"
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Film review : कोरोना काल में थियेटर में फिल्म देखने का अनुभव बेहद ही खास रहा। पिछले 2 सालों में सिनेमा हाल का मुंह देखना नसीब नहीं हुआ लेकिन बेल बॉटम मूवी सिनेमाघरों में रिलीज हुई जिससे दर्शकों ने भी राहत की सांस ली।
सिनेमा हाल में कोरोना प्रोटोकॉल को माना गया और एक सीट के गैप में दर्शकों को बैठाया गया। ये अनुभव भी अलग रहा जो इस समय की मांग है। तो अब हम फिल्म की बात करते हैं । बेल बॉटम मूवी की कहानी 80 के दशक की प्लेन हाईजैक की घटना से संबद्ध है। फिल्म की शुरुआत में ही ये बताया गया है कि फिल्म सत्य घटना पर आधारित है।
फिल्म की स्टोरी भी प्लेन हाईजैक, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) पर आधारित है। फिल्म की शुरुआत प्लेन हाईजैक से होती है और फिल्म खत्म भी प्लेन हाईजैक से होती है।
यानी प्लेन हाईजैक करने वाले आतंकी को पकड़ने और हाईजैक हुए यात्रियों को छुड़ाने से फिल्म खत्म हुई है । फिल्म का नाम बेल बॉटम है तो लोगों को लगा था दरअसल, मुझे लगा था इस नाम का फिल्म की कहानी से संबंध होगा लेकिन ऐसा नहीं है ।
बेल बॉटम नाम रखने की वजह शायद ये थी
80 के दशक के ट्राउजर को बेल बॉटम कहा जाता था और उसी ट्राउजर पर ही अक्षय कुमार का कोड नेम रखा जाता हैं बेल बॉटम। अक्षय की जब पहली बार एंट्री होती है तो उनके ट्राउजर यानी बेल बॉटम को दिखाया जाता है।
दरअसल, अक्षय कुमार इस फिल्म में एक रॉ एजेंट की भूमिका निभाते हैं। इस फिल्म में अक्षय कुमार की मां की मौत भी प्लेन हाईजैक में होती है। मां के हत्यारे आतंकी का बदला लेने के लिए अक्षय कुमार रॉ एजेंट बनते हैं।
हालांकि इसमें भी एक ट्विस्ट है कि खुद रॉ के हेड अक्षय कुमार को रॉ एजेंट के रूप में चुनते है और उन्हें रॉ से जुड़ने का ऑफर देते है। उन्हें हिडेन टैलेंट बताया जाता है और अक्षय कुमार को रॉ एजेंट की तरह ट्रेंड किया जाता है।
इंदिरा गांधी के रूप में दिखीं लारा दत्ता
कहानी चूंकि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के समय की है, इस बाबत इस फिल्म में इंदिरा गांधी को भी भूमिका में लाया गया जिनका किरदार लारा दत्ता ने निभाया।
लारा दत्ता को इंदिरा गांधी की तरह दिखाने में मेकअप आर्टिस्ट ने काफी मेहनत की जो स्क्रीन पर साफ तौर पर दिख रहा है । लारा दत्ता ने इंदिरा गांधी के रोल को बखूबी निभाया है।
हुमा भी इस फिल्म में अपनी छाप छोड़ पाई
वहीं इस फिल्म में हुमा कुरैशी भी नजर आई। पहले तो दिखाया गया वो रॉ एजेंट की मददगार है लेकिन बाद में पता चला कि वो आईएसआईएस एजेंट के लिए काम करती है।
इस फिल्म में पाकिस्तान का एक रूप दिखाया गया जो भारत के साथ अच्छे संबंध का झांसा देकर आईएसआईएस की मदद करता है। इस फिल्म की कहानी फर्स्ट हाफ में स्लो है और स्टोरी में कोई सिंक्रोनाइजेशन नहीं दिखा।
इंटरवल के बाद फिल्म ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी, क्लाइमैक्स रहा मजेदार
इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी अच्छी लगी मगर फिल्म से जो उम्मीद थी वो पूरी नहीं हुई। वहीं फिल्म के लास्ट में वाणी कपूर का क्लाइमैक्स दिखा और पता चला वाणी कपूर जो की अक्षय कुमार की पत्नी का रोल निभा रही है वो असल में एक रॉ एजेंट है।
इस फिल्म में दो ही गाने है वो भी दर्शकों की जुबान पर नहीं चढ़ सका है। कुल मिलाकर ये कहा जाए कि अक्षय को बेबी और नाम सबाना सहित अनगिनत फिल्म में देखकर जो वाह निकला था वो इस मूवी में नहीं निकला।
नोट : एक दर्शक के तौर पर इस फिल्म पर मेरी अपनी रिव्यू है। आपकी राय मेरे से अलग हो सकती हैं।
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