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Wednesday, August 4, 2021

ALIPORE ZOO : ... अब शेर पालना बच्चों का खेल, पर कौन लगा रहा ग्रहण ? पूरी जानकारी यहां

  •  कोरोना के कारण एडॉप्शन में आयी गिरावट पर उत्साह है बरकरार : ज़ू डायरेक्टर 

"मगर, अब ये कहावत गलत साबित हो रही हैं। अगर आपकी इच्छा शेर पालने की है तो आपकी ये इच्छा भी जरूर पूरी होगी।  ये इच्छा आपकी चिड़ियाघरों में पूरी हो सकती है।  पिछले कुछ सालों से देश के कई चिड़ियाघरों में इस तरह की योजना शुरू की गई है।  कोलकाता का अलीपुर चिडयाघर भी इससे अछूता नहीं है।  पिछले कुछ सालों से अलीपुर ज़ू में भी जानवरों और पक्षियों को अडॉप्ट करने की व्यवस्था शुरू की गई है। यहाँ आप सिर्फ शेर ही नहीं बल्कि अपने मनपसंद किसी भी पशु - पक्षियों को गोद ले सकते हैं।  जिस तरह से लोग अपने बच्चों की कमी को बच्चे गोद लेकर पूरे करते हैं वैसे ही अगर आपको जानवरों से प्यार है और जानवरों को पालने का शौक रखते हैं तो आप भी जानवरों को अडॉप्ट कर सकते हैं। "


PICS FROM ZOO WEBSITE 


KOLKATA : शेर, जंगल का राजा ही नहीं बल्कि सभी जानवरों में सबसे ज्यादा खतरनाक भी है। जंगल के राजा शेर की मिसाल तो हर कोई देता है। आपने भी यह कई बार सुना होगा , अगर शेर का बच्चा है तो दिखा अपना दम। अक्सर ये कहते हुए भी सुनते है कि शेर पालना बच्चों का खेल नहीं है। 

मगर, अब ये कहावत गलत साबित हो रही हैं। अगर आपकी इच्छा शेर पालने की है तो आपकी ये इच्छा भी जरूर पूरी होगी।  ये इच्छा आपकी चिड़ियाघरों में पूरी हो सकती है।  पिछले कुछ सालों से देश के कई चिड़ियाघरों में इस तरह की योजना शुरू की गई है।  कोलकाता का अलीपुर चिडयाघर भी इससे अछूता नहीं है। 

 पिछले कुछ सालों से अलीपुर ज़ू में भी जानवरों और पक्षियों को अडॉप्ट करने की व्यवस्था शुरू की गई है। यहाँ आप सिर्फ शेर ही नहीं बल्कि अपने मनपसंद किसी भी पशु - पक्षियों को गोद ले सकते हैं।  जिस तरह से लोग अपने बच्चों की कमी को बच्चे गोद लेकर पूरे करते हैं वैसे ही अगर आपको जानवरों से प्यार है और जानवरों को पालने का शौक रखते हैं तो आप भी जानवरों को अडॉप्ट कर सकते हैं। 

अलीपुर चिड़ियाघर में एडॉप्शन की योजना के तहत कइयों ने पशु - पक्षियों को गोद लिया हैं।  लोगों में जानवरों को गोद लेने का उत्साह भी काफी दिखा है।  मगर, जब से कोरोना शुरू हुई है जानवरों के एडॉप्शन में थोड़ी गिरावट आयी है।  



क्या कहते है चिड़ियाघर के डायरेक्टर 

इस बारे में अलीपुर चिड़ियाघर के डायरेक्टर आशीष कुमार सामंत का कहना है , इस वर्ष करीब 5 लोगों ने जानवरों को गोद लिया है।  हाँ , ये जरूर है कि कोरोना के कारण गोद लेने के मामले में गिरावट आयी है। मगर लोगों में अभी भी जानवरों को गोद लेने का उत्साह दिख रहा है।  

हमें उम्मीद हैं कि जल्द ही कोरोना काल ख़त्म होगी और गोद लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।  चिड़ियाघर के डायरेक्टर ने ये भी बताया है कि अभी लॉक डाउन के कारण भी चिड़ियाघर दर्शकों के लिए बंद रखी गई है। दर्शकों के नहीं आने से जानवरों में भी निराशा है।  

खासकर हमारे चिम्पांजी बाबू का मन उदास रहता है।  पिछले लॉक डाउन में भी उसका मन उदास था लेकिन उसकी उदासी दूर करने के लिए ज़ू के स्टाफ उसका मनोरंजन करते रहते हैं।  



ऐसे ले सकते हैं जानवरों को गोद 

चिड़ियाघर प्रबंधन ने बताया , जानवरों के प्रति लोगों में प्यार और सहानुभूति को बढ़ावा देने के लिए इस एडॉप्शन योजना को शुरू किया गया है।  गोद लेने की सारी जानकारी चिड़ियाघर के वेबसाइट पर दी गई है।  वेबसाइट पर फॉर्म है जिसे भरने के बाद चिड़ियाघर में मौजूद सभी जानवरों को गोद लिया जा सकता है। 

चिड़ियाघर में मौजूद किसी भी पशु - पक्षी को कोई भी उद्योगपति , बैंक प्रतिष्ठान, कंपनी, छात्र - छात्राएं या एक साधारण और आम व्यक्ति भी गोद ले सकते हैं। सालाना एक निर्दिष्ट राशि देने पर ही जानवरों को गोद ले सकते हैं।  जो व्यक्ति जानवरों को गोद लेता है , उस व्यक्ति या संस्था का नाम उक्त जानवर के पिंजड़े के बाहर लिख दिया जाता है।  



शेर के लिए सालाना  2 लाख रुपये तो पक्षियों के लिए सालाना 10 हज़ार 

अलीपुर चिड़ियाघर में विभिन्न जानवरों और पक्षियों को गोद लेने के लिए राशि भी अलग - अलग होती है। ये राशि सालाना होती हैं।  अगर किसी को शेर गोद लेना है तो उसे सालाना 2 लाख रुपये देने होते हैं तो वहीं बाघ के लिए भी 2 लाख रुपये सालाना लगते है।  

वहीं , जिराफ के लिए 1 लाख , जेब्रा के लिए 60 हजार , हिमालयन ब्लैक बियर और स्लोथ बियर के लिए 40 -40  हजार , चीता के लिए 1  लाख , फिशिंग कैट के लिए 20 हज़ार , कॉमन मार्मोसेट के लिए 20 हज़ार , गेंडा के लिए 1 लाख , मगरमच्छ के लिए 40 हज़ार , पाइथन के लिए 10  हज़ार , कछुआ के लिए 10 हज़ार सहित अन्य नजवारों के लिए भी राशि देनी पड़ती हैं। 

उन सभी की जानकारी वेबसाइट पर मिल जाएगी।  वहीं यहाँ   सभी प्रकार की पक्षियों को गोद लेने के लिए 10  से 20 हज़ार रुपये सालाना देने होंगे।  


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