- 2019-20 में 83787 झोपड़ियां और घरें हुई थी क्षतिग्रस्त, जबकि 2020-21 के मार्च तक 564814 घरें हुई तबाह
"बंगाल का वीकेंड टूरिस्ट स्पॉट मंदारमणि, दीघा और मौसुनी आइलैंड भी यास तूफान में सब कुछ खो बैठे हैं। मंदारमणि और दीघा कुछ हद तक सही हो रहे हैं लेकिन मौसुनी आइलैंड का भविष्य अभी भी अन्धकार में ही है। इस तरह के और भी गांव है जो इस स्थिति से उबरने की जुगत में लगे हुए हैं। हालांकि, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बाढ़ के पीछे डीवीसी द्वारा छोड़े गए पानी को कारण बताया है। इस परिस्थिति के लिए भी ममता सरकार मोदी सरकार पर तंज कस रही हैं। खैर मामला अभी ज्यादा गंभीर है। बाढ़ग्रस्त इलाकों का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एरियल सर्वे यानी हेलीकाप्टर से निरिक्षण किया है। दूसरी तरफ, केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों से भी बंगाल में पिछले तीन सालों में तूफान, चक्रवात और प्राकृतिक आपदा के कारण लाखों लोगों के बेघर होने और सैंकड़ो लोगों के मारे जाने का खुलासा हुआ है। हालांकि पिछले तीन सालों में इस साल प्राकृतिक आपदा से बंगाल काफी प्रभावित हुआ है। "
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pics taken from facebook of CM |
BENGAL: बंगाल में पिछले तीन सालों में एक के बाद एक कई चक्रवात ने जमकर तबाही मचाई है। कभी फोनी, कभी बुलबुल, कभी अम्फान तो इस साल यास ने ऐसी तबाही मचाई की अभी भी लोग उस तबाही से उबर नहीं पाए हैं। वहीं अभी मानसून और तेज बारिश के कारण भी बंगाल में कई जगह बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी है।
कईयों के घर पानी के नीचे चले गए हैं जिन्हें बचाने के लिए हेलीकाप्टर बुलाये गए थे। बंगाल में अभी भी कुछ जिलों और गांवों की हालत काफी बदतर है। इनमें समुद्र किनारे वाले गाँव और जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। बंगाल का वीकेंड टूरिस्ट स्पॉट मंदारमणि, दीघा और मौसुनी आइलैंड भी यास तूफान में सब कुछ खो बैठे हैं।
मंदारमणि और दीघा कुछ हद तक सही हो रहे हैं लेकिन मौसुनी आइलैंड का भविष्य अभी भी अन्धकार में ही है। इस तरह के और भी गांव है जो इस स्थिति से उबरने की जुगत में लगे हुए हैं। हालांकि, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बाढ़ के पीछे डीवीसी द्वारा छोड़े गए पानी को कारण बताया है।
इस परिस्थिति के लिए भी ममता सरकार मोदी सरकार पर तंज कस रही हैं। खैर मामला अभी ज्यादा गंभीर है। बाढ़ग्रस्त इलाकों का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एरियल सर्वे यानी हेलीकाप्टर से निरिक्षण किया है। दूसरी तरफ, केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों से भी बंगाल में पिछले तीन सालों में तूफान, चक्रवात और प्राकृतिक आपदा के कारण लाखों लोगों के बेघर होने और सैंकड़ो लोगों के मारे जाने का खुलासा हुआ है।
हालांकि पिछले तीन सालों में इस साल प्राकृतिक आपदा से बंगाल काफी प्रभावित हुआ है। गृह मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 -21 के 31 मार्च तक के आंकड़े बताते है कि बंगाल में 354 लोगों ने अपनी जान गंवाई है जबकि 23,937 जानवरों की मौत हुई हैं। वहीं 5 लाख से ज्यादा यानी 564814 घरें और झोपड़ियां क्षतिग्रस्त हुई है जबकि 5.71 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हुई है।
2018 -19 और 2019 -20 में भी कई लोगों की गई जान और कई लोग हुए बेघर
केंद्रीय गृह मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2018 -19 में तूफान और चक्रवात से बंगाल में लगभग 383 लोगों की जान गयी थी जबकि 93 जानवर मारे गए थे। वहीं 23,964 घर क्षतिग्रस्त हुए थे जबकि 0. 49 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हुई थी।
2019 -20 में भी फिर तूफान ने बंगाल में दस्तक दी और इस दौरान 227 लोग मरे थे। हालांकि, इस बार तूफ़ान की भयावहता बहुत ही ज्यादा थी। मगर प्रशासन की तत्परता से लोगों की जान बची लेकिन माल का बेहद नुकसान हुआ। 227 लोग मारे गए जबकि 382 जानवर की मौत हुई।
वहीं 83 ,787 घरें और झोपड़ियां बर्बाद हुई जबकि 0.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हुई थी। वर्ष 2020 -21 में प्रशासन ने पिछली तूफ़ान से सबक लिया था और तैयारी भी पूरी की थी लेकिन चक्रवात की तीव्रता ने सबकुछ तबाह कर दिया।
केंद्र सरकार ने नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फण्ड से बंगाल को भेजे फण्ड
मंत्रालय सूत्रों ने बताया , तबाही को देखते हुए नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फण्ड से बंगाल को 2019 के वित्तीय वर्ष लेकर 2021 के वित्तीय वर्ष तक फण्ड जारी किये हैं। वर्ष 2019 -20 में इस फण्ड से 958 .33 करोड़ रुपये दिए गए थे। वहीं 2020 -21 में 2250.78 करोड़ रुपये दिए गए। वहीं इस वर्ष 2021 -22 के लिए बंगाल को 300 करोड़ रुपये फिलहाल दिए गए हैं।
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pics taken from twitter |
सीएम के पानी में डूबकर निरिक्षण करने को लेकर वायरल तस्वीरों पर राजनीति शुरू
वहीं, बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है जहाँ हर चीज़ को लेकर ही राजनीति शुरू हो जाती हैं। बंगाल में हर मुद्दे पर केंद्र और राज्य में तनातनी चलती रहती है। इस बार भी बाढ़ग्रस्त इलाके में सीएम ममता बनर्जी के निरिक्षण को लेकर कुछ तस्वीरें इन दिनों ट्विटर पर वायरल हो रही हैं।
इसमें एक तरफ सत्ता पक्ष ने ममता बनर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी से तुलना शुरू कर दी है। सत्ता पक्ष समर्थकों ने ममता बनर्जी के बाढ़ग्रस्त इलाके में पानी में डूबकर निरिक्षण करते हुए फोटो के साथ पीएम मोदी के एरियल सर्वे करने के दौरान लिए गए फोटो से तुलना की और कहा कि यही फर्क है।
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pics from twitter |
वहीं विरोधी पक्ष के हाथ भी कुछ तस्वीरें लगी जो दावा कर रही है कि ममता बनर्जी ने सिर्फ दिखावा किया है। दरअसल, ट्विटर पर ही एक और तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें देखा जा रहा है कि ममता बनर्जी पानी में खड़ी हुई है जबकि उनके पास ही सुखी जमीन है और उसी जगह पर सैकड़ों मीडिया और पुलिस खड़े हैं।
इन फोटो को दिखाकर विरोधी पक्ष बता रहा है कि ये है लाइट, कैमरा और एक्शन... नाटक। हालांकि, फोटो असली है या नहीं , इसकी सत्यता की जांच नहीं की गयी है। ट्विटर से मिली फोटो के आधार पर ही ये लिखा गया है।
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