- सिर्फ मरम्मत कर देने से ही नहीं होगा समस्या का समाधान , उठाने होंगे कड़े कदम
"हालांकि दो साल तीन महीने के लम्बे इंतजार के बाद माझेरहाट ब्रिज फिर से खड़ा हो गया है। इस घटना ने महानगर के अन्य ब्रिज के हाल को लेकर सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया था। इसके बाद जब राज्य सरकार हरकत में आयी तो महानगर के आधे से अधिक फ्लाईओवर का हाल खस्ता पाया। इसमें टाला ब्रिज का हाल काफी बुरा पाया गया। टाला ब्रिज के हालात को देखते हुए उक्त ब्रिज को तोड़ने का फैसला लिया गया जिसका निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। खैर , महानगर के फ्लाईओवर के निरिक्षण के दौरान जो सबसे बड़ी समस्या देखी गई वो थी चूहों की समस्या। चूहों ने बड़े - बड़े फ्लाईओवर के पिलर्स को खोखला कर दिया है। इसके कारण अगर समय पर इन फ्लाईओवर की मरम्मत नहीं की गयी तो वे किसी भी वक़्त ढह सकते हैं। इन सब में अभी ढाकुरिया ब्रिज जो गोलपार्क से जोधपुर पार्क को जोड़ती है , उसकी हालत सोचनीय बताई जा रही है।"
one of the flyover in kolkata (social media)
KOLKATA: महानगर में यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए कई फ्लाईओवर का निर्माण किया गया है और आगे भी की जाएगी। फ्लाईओवर के रख - रखाव के अभाव में दक्षिण कोलकाता की लाइफ लाइन कही जाने वाली माझेरहाट ब्रिज वर्ष 2018 के 4 सितम्बर को ढह गई थी।
जिसके बाद राज्य सरकार नींद से जागी थी और महानगर के बाकी फ्लाईओवर का इंस्पेक्शन शुरू किया गया था। हालांकि दो साल तीन महीने के लम्बे इंतजार के बाद माझेरहाट ब्रिज फिर से खड़ा हो गया है। इस घटना ने महानगर के अन्य ब्रिज के हाल को लेकर सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया था।
इसके बाद जब राज्य सरकार हरकत में आयी तो महानगर के आधे से अधिक फ्लाईओवर का हाल खस्ता पाया। इसमें टाला ब्रिज का हाल काफी बुरा पाया गया। टाला ब्रिज के हालात को देखते हुए उक्त ब्रिज को तोड़ने का फैसला लिया गया जिसका निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है।
खैर , महानगर के फ्लाईओवर के निरिक्षण के दौरान जो सबसे बड़ी समस्या देखी गई वो थी चूहों की समस्या। चूहों ने बड़े - बड़े फ्लाईओवर के पिलर्स को खोखला कर दिया है। इसके कारण अगर समय पर इन फ्लाईओवर की मरम्मत नहीं की गयी तो वे किसी भी वक़्त ढह सकते हैं।
इन सब में अभी ढाकुरिया ब्रिज जो गोलपार्क से जोधपुर पार्क को जोड़ती है , उसकी हालत सोचनीय बताई जा रही है। पिछले दिनों ही केएमडीए अधिकारियों ने उक्त ब्रिज का जायजा लिया है और ब्रिज की मरम्मत को लेकर भी विचार किया जा रहा है।
मगर यहाँ ये गौर करने वाली बात है कि आखिर चूहों के लिए फ्लाईओवर के पिलर्स इतने पसंदीदा क्यों है ? उनके रहने के लिए तो और भी जगह है लेकिन फ्लाईओवर ही क्यों ? इस सवाल का जवाब महानगर के पर्यावरणविदों के पास मिला है। पर्यावरणविद् सौमेंद्र मोहन घोष ने इसकी असली वजह बताई है जो शायद अब तक किसी ने नहीं सोची थी।
इस वजह से फ्लाईओवर के पिलर्स है चूहों के लिए पसंदीदा जगह
पर्यावरणविद् सौमेंद्र मोहन घोष बताते है , फ्लाईओवर के पिलर्स के निकट और आसपास फूड स्टाल लगाए जाते हैं। खाने -पीने की चीज़ों से चूहे आकर्षित होते हैं और वहां जमावड़ा करते हैं। फूड स्टाल के खाना को खाकर या खाने को लेकर चूहे फ्लाईओवर के पिलर्स पर चढ़ जाते हैं और वहां गड्ढे कर अपने रहने की व्यवस्था कर लेते हैं।
सिर्फ एक चूहे को भनक लगने की जरूरत है , इसके बाद वहां एक के बाद एक चूहे का हुजूम हाजिर होने लगता है और वे अपना बसेरा बनाने के लिए बड़े से बड़े पिलर को खोद डालते हैं। ढाकुरिया ब्रिज के निकट ही बस स्टैंड और उसके आसपास फूड स्टाल है जिससे चूहों का वहां बसेरा ज्यादा है।
इतिहास गवाह है , चूहों ने बड़े से बड़े भवन को भी खोखला कर डाला है। घोष बताते हैं , फूड स्टाल के कारण ही चूहे फ्लाईओवर के पिलर्स को ज्यादा पसंद करते हैं। इन चूहों से जल्द छुटकारा पाना जरूरी है वरना फ्लाईओवर को ढ़हते देर नहीं लगेगी।
ये कदम उठाने की है जरूरत
अगर फ्लाईओवर को ढ़हने से बचाना है तो सबसे पहले चूहों के आतंक को कम करना होगा। इसके लिए फ्लाईओवर के पिलर्स के निकट और आसपास किसी भी प्रकार के फूड स्टाल को लगाने की अनुमति नहीं देनी होगी। कम से कम 20 फीट की दूरी पर ही स्टाल लगाने की इजाजत देनी होगी।
इसके अलावा एक और विकल्प है फूड हब का। अलग -अलग जगह पर फूड स्टाल लगाने की जगह सभी फूड स्टाल के लिए फूड हब तैयार कर दी जाए तो इससे काफी सुविधा होगी। दरअसल , चूहे सिर्फ चाऊमीन या रोल फूड सेंटर पर ही नहीं आते हैं बल्कि चाय दुकानों में मिलने वाली बिस्कुट से भी वो वहां पहुंच जाते हैं।
फूड हब फ्लाईओवर से दूर किसी जगह बनाने की आवश्यकता है ऐसा होने से एक ही स्थान पर सभी स्टाल लगेंगे, इससे न सिर्फ चूहों का आतंक ख़त्म होगा बल्कि प्रदूषण भी कम होगी।
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