- पुराने मकानों को लेकर बनाये गए हैं कानून, पर नहीं किया जा रहा है अमल, आखिर कौन है जिम्मेदार
- 1700 - 2000 मकान है खतरनाक श्रेणी में है जबकि 100 - 130 मकान है सबसे ज्यादा खतरनाक श्रेणी में
"हालाँकि किसी भी प्रकार की तूफान को लेकर अलर्ट मिलने के बाद इन मकानों से लोगों को निकाल कर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता है। मगर फिर सब कुछ ठीक होने के बाद वापस लोग इन मकानों में रहने लगते हैं। मकानों को कोलकाता नगर निगम की तरफ से खतरनाक घोषित किये जाने के बाद भी इन मकानों में लोग परिवार के साथ रहते हैं। या यूँ कहे की जान हथेली पर रख कर लोग रहते हैं। अक्सर देखा जाता है कि तेज बारिश के कारण ये पुराने मकान ढह जा रहे हैं और कई लोगों की जान भी चली जा रही हैं। बुधवार को ऐसी ही एक ताजा घटना उत्तर कोलकाता के जोड़ाबागान थानांतर्गत अहिरीटोला स्ट्रीट इलाके में घटी। इस घटना में एक तीन साल की बच्ची और उसकी नानी की मौत हो गई। "
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jorabagan house collapse |
KOLKATA OLD BUILDINGS : कोलकाता खासकर उत्तर कोलकाता में पुराने मकानों की संख्या सबसे ज्यादा है। इन मकानों को खतरनाक घोषित किये जाने के बाद भी इन मकानों में लोग रह रहे हैं। पुराने मकानों को सबसे ज्यादा खतरा बारिश और तूफानों से हैं।
हालाँकि किसी भी प्रकार की तूफान को लेकर अलर्ट मिलने के बाद इन मकानों से लोगों को निकाल कर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता है। मगर फिर सब कुछ ठीक होने के बाद वापस लोग इन मकानों में रहने लगते हैं। मकानों को कोलकाता नगर निगम की तरफ से खतरनाक घोषित किये जाने के बाद भी इन मकानों में लोग परिवार के साथ रहते हैं।
या यूँ कहे की जान हथेली पर रख कर लोग रहते हैं। अक्सर देखा जाता है कि तेज बारिश के कारण ये पुराने मकान ढह जा रहे हैं और कई लोगों की जान भी चली जा रही हैं। बुधवार को ऐसी ही एक ताजा घटना उत्तर कोलकाता के जोड़ाबागान थानांतर्गत अहिरीटोला स्ट्रीट इलाके में घटी।
इस घटना में एक तीन साल की बच्ची और उसकी नानी की मौत हो गई। मगर इस तरह की घटना के पीछे कौन जिम्मेदार हैं ? मकान मालिक या मकान में रहने वाले किरायेदार या कोलकाता नगर निगम ? इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं हैं। सभी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। खैर इससे पहले हम जानते हैं कोलकाता के पुराने और खतरनाक मकान के बारे में।
1700 - 2000 मकान है खतरनाक श्रेणी में है
निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 1700 - 2000 मकान ऐसे हैं जो पुराने और खतरनाक श्रेणी में आते हैं जबकि 100 - 130 मकान सबसे ज्यादा खतरनाक श्रेणी के अंतर्गत हैं। इन मकानों के बाहर निगम ने खतरनाक मकानों का स्टीकर भी लगाया है।
खतरनाक घोषित किये जाने के बावजूद इन मकानों में लोग रहते हैं। जब कभी कोई घटना घट जाती है तो लोग कुछ दिनों तक डरे रहते हैं लेकिन बाद में फिर पहले की तरह ही निर्भीक होकर रहने लगते हैं।
तूफान के अलर्ट के बाद भी लोग मकानों से निकलना नहीं चाहते हैं
कोलकाता या बंगाल में अगर किसी तूफान या साइक्लोन को लेकर मौसम विभाग से चेतावनी दी जाती है तो पुराने और जर्जर तथा खतरनाक मकानों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए पुलिस कदम उठाती है। इस दौरान पुलिस को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
कोलकाता पुलिस के एक सूत्र ने बताया, इन जर्जर मकानों में रहने वालों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए जब अफसर को भेजा जाता है तब ये लोग मकान छोड़कर निकलना नहीं चाहते हैं। सूत्र बताते है कि इन लोगों को ये डर सताता है कि एक बार ये मकान से निकलेंगे तो वे वापस इन मकानों में नहीं आ सकेंगे।
प्रमोटर या मकान मालिक इन्हें दोबारा मकान में घुसने नहीं देंगे। उनके लिए दूसरा कोई ठिकाना भी नहीं है, इस वजह से ये इन मकानों को छोड़ना नहीं चाहते हैं।
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fire brigade personnel rescue work is on |
खतरनाक मकानों के लिए लाया गया था कानून पर
निगम सूत्र बताते हैं , कोलकाता के पुराने, जर्जर और खतरनाक मकानों को लेकर कोलकाता नगर निगम में बिल्डिंग एक्ट लाया गया है। 142 बिल्डिंग एक्ट (अमेंडमेंट) के तहत सबसे पहले पुराने और खतरनाक मकान के मालिक को मकान की मरम्मत करने को कहा गया है।
अगर मालिक तैयार नहीं होता है मकानों में रहने वाले लोगों यानी किरायेदार को मकान की मरम्मत करने को कहा जाता है। अगर दोनों नहीं तैयार हो तो मकान को प्रमोटर को सौंप देने का प्रावधान है। प्रमोटर बिल्डिंग तोड़कर नए मकान बनाएंगे। उक्त मकान का पहला और दूसरा तल्ला मकान मालिक और किरायेदार को देकर बाकी जगहों का इस्तेमाल और बिक्री वो प्रमोटर कर सकता है।
इसका इस्तेमाल कमर्शियल और निजी तौर पर भी किया जा सकता है। सालों पहले इस कानून को लाया गया था लेकिन निगम सूत्र का कहना है , इस कानून को लागू ही नहीं किया गया। बुधवार की घटना के बाद केएमसी के प्रशासक और मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा , अब से इन कानून को लागू करवाने के लिए कदम उठाये जायेंगे।
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house collapsed and debris |
एक नजर जोड़बागान की घटना पर
कोलकाता में मंगलवार से शुरू हुई बारिश लगातार बुधवार दोपहर तक जारी रही। तेज बारिश के कारण बुधवार की सुबह उत्तर कोलकाता का एक मकान ढह गया जिससे एक बच्ची सहित 2 की मौत हो गई। वहीं बहुबाजार और भवानीपुर में मकान का हिस्सा ढह गया।
उत्तर कोलकाता की उक्त घटना जोड़ाबागान थानांतर्गत अहिरीटोला स्ट्रीट इलाके की है। पुलिस ने बताया, बुधवार की सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर दो मंजिला मकान का एक हिस्सा ढह गया। तेज आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे तो देखा मकान ढह गया है और मकान मि रहने वाले लोग फंसे हुए हैं।
इसके बाद घटना की सूचना पुलिस, केएमसी, दमकल विभाग को दी गयी। घटना की भयावहता को देखते हुए एनडीआरएफ और आर्मी की टीम भी मौके पर पहुँच गयी। इसके साथ ही केएमसी के प्रशासक फिरहाद हाकिम, विधायक शशि पांजा और कोलकाता पुलिस कमिश्नर सौमेन मित्रा सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे। मलबे से पहले एक दम्पति को बाहर निकाला गया।
उस दम्पति के अलावा एक बच्ची और बुजुर्ग महिला के भी दबे होने का पता चला। काफी मशक्कत के बाद बच्ची और उसकी नानी को बाहर निकाला गया। दोनों को अस्पताल पहुँचाया गया जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों की शिनाख्त सृजिका घोरुइ (3) और चंपा घोरुइ (47) के रूप में हुई है।
दरअसल , मलबे से निकले गए दम्पति प्रियंका और सुशांत की बच्ची थी सृजिका और चंपा प्रियंका की मां थी। इस घटना को लेकर फिरहाद हकीम ने बताया, मकान को पहले ही खतरनाक घोषित किया जा चुका था। बावजूद इसके लोग यहां रह रहे थे। इस मकान में रहने वाले 17 लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है और इस मकान को तोड़ दिया जायेगा।
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fire brigade personnel rescue the persons |
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