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Monday, September 13, 2021

हाय रे इंसान ...पहले निगलते थे जमीन, अब 'निगल' रहे हैं lake !

  • रवींद्र सरोवर लेक पर अवैध निर्माण से लेक का पानी दूषित, मर रही हैं मछलियां 
  • पर्यावरणविदों ने उठाई आवाज, केएमडीए और पीसीबी को लिखी चिट्ठी 

"दरअसल, इसका ताजा उदहारण कोलकाता का लंग्स कहलने वाले रवींद्र सरोवर में देखने को मिला है। आरोप है कि रवींद्र सरोवर लेक के पानी पर ही सभी निर्देशों  को ताक पर रख निर्माण कार्य किये जा रहे हैं जिसका खामियाजा पानी में रहने वाली मछलियां और जलीय जीव चुका रहे हैं।  रवींद्र सरोवर पर अवैध निर्माण को लेकर महानगर के पर्यावरणविद सौमेंद्र मोहन घोष ने आवाज उठाई है और इसको लेकर रवींद्र सरोवर लेक को मेन्टेन करने वाले यानी जिनके अधीन रवींद्र सरोवर लेक का रख- रखाव सहित सभी जिम्मेदारी है , केएमडीए को चिट्ठी लिखकर घटना कि जानकारी दी है।  सिर्फ केएमडीए ही नहीं बल्कि जल प्रदूषण होने के कारण पोल्युशन कण्ट्रोल बोर्ड (पीसीबी) को भी चिट्ठी लिखी है। सूत्र बताते है कि केएमडीए ने अपनी तरफ से जांच शुरू की है।"

illegal construction on lake


KOLKATA : अवैध निर्माणों की भरमार न सिर्फ कोलकाता या बंगाल में है बल्कि पूरे देश में ही ऐसी स्थिति देखने को मिलती है।  जमीन पर कब्ज़ा कर अवैध निर्माण से भी अब ये इंसान संतुष्ट नहीं हुए की अब पानी पर भी अवैध कब्ज़ा जमा रहे हैं। दरअसल, इसका ताजा उदहारण कोलकाता का लंग्स कहलने वाले रवींद्र सरोवर में देखने को मिला है। 

आरोप है कि रवींद्र सरोवर लेक के पानी पर ही सभी निर्देशों  को ताक पर रख निर्माण कार्य किये जा रहे हैं जिसका खामियाजा पानी में रहने वाली मछलियां और जलीय जीव चुका रहे हैं। 

 रवींद्र सरोवर पर अवैध निर्माण को लेकर महानगर के पर्यावरणविद सौमेंद्र मोहन घोष ने आवाज उठाई है और इसको लेकर रवींद्र सरोवर लेक को मेन्टेन करने वाले यानी जिनके अधीन रवींद्र सरोवर लेक का रख- रखाव सहित सभी जिम्मेदारी है , केएमडीए को चिट्ठी लिखकर घटना कि जानकारी दी है। 

 सिर्फ केएमडीए ही नहीं बल्कि जल प्रदूषण होने के कारण पोल्युशन कण्ट्रोल बोर्ड (पीसीबी) को भी चिट्ठी लिखी है। सूत्र बताते है कि केएमडीए ने अपनी तरफ से जांच शुरू की है। हालाँकि जांच में उनका कहना है ये पुराने निर्माण कार्य है जबकि इसको लेकर पर्यावरणविदों के समूह में काफी नाराजगी है।  उनका कहना है , ये नए निर्माण है जिसे कोरोना काल में निर्मित किया गया है।  


रवींद्र सरोवर के क्लबों पर अवैध निर्माण का आरोप 

पर्यावरणविद सौमेंद्र मोहन घोष ने बताया , कई दिनों से ही शिकायत मिल रही थी कि लेक में अवैध तरीके से निर्माण कार्य कर वाटरबॉडी पर कब्ज़ा किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक , रवींद्र सरोवर लेक के अंतर्गत तीन स्विमिंग क्लब है।  लेक फ्रेंड्स , कलकत्ता स्पोर्ट्स और एंडरसन क्लब।  

इसके अलावा कुछ प्राइवेट क्लब्स भी है। इन क्लबों द्वारा लेक के ऊपर अवैध निर्माण किया जा रहा है और साथ ही निर्माण सामग्री लेक के पानी में गिर रही हैं और उसे दूषित कर रही है।  दरअसल, ये क्लब स्पोर्ट्स को छोड़कर मनोरंजन की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।  

क्लब में जगह कम होने के कारण लेक के ऊपर ही अवैध निर्माण कर अपना स्पेस बढ़ा रहे हैं ताकि उसका इस्तेमाल निजी मनोरंजन के लिए कर सके। इनमें अभी लेक फ्रेंड्स क्लब द्वारा अवैध निर्माण का ताजा मामला सामना आया है। मगर क्लब ने अवैध निर्माण से अस्वीकार किया है। 

सौमेंद्र मोहन घोष का कहना है,  लेक पर किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध है। लेक में कंक्रीट पिलर बैठाकर निर्माण कार्य किया जा रहा है। ये EIA  report  और NGT के निर्देशों की अवहेलना है। इसको लेकर उन्होंने केएमडीए के सीईओ और चेयरमैन तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चिट्ठी लिखी गयी है और घटना से अवगत कराया है।  


National Green Tribunal, Supreme Court और CPCB  के निर्देशों की अवहेलना 

पर्यावरणविदों के अनुसार, वर्ष 2017  में लेक संरक्षण के एक्सपर्ट कमेटी ने environmental impact  assessment  study  रिपोर्ट  national green tribunal को जमा दिया था।  उक्त रिपोर्ट के बाद वर्ष 2018 में national green tribunal  ने निर्देश दिया कि लेक पर किसी भी प्रकार का expansion , modification  और construction न हो।  

अगर कोई इन निर्देशों कि अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी एक निर्देश दिया गया है, लेक के 75 मीटर के क्षेत्र में यानी लेक के पानी के किनारे से लेकर 75 मीटर तक किसी भी प्रकार का निर्माण न किया जाए। 

बावजूद इसके रवीन्द्र सरोवर लेक में क्लब के पिछले हिस्से में अवैध निर्माण किया जा रहा है जो लेक के ऊपर ही हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट और  सेंट्रल पोल्युशन कण्ट्रोल बोर्ड के गाइडलाइन्स की रवीन्द्र सरोवर लेक में अवहेलना की गयी।  

dead fish floating on lake 


लेक पर निर्माण से मर रही है मछलियां 

लेक के पानी पर अवैध निर्माण और निर्माण सामग्रियों से पानी इतना दूषित हो रहा है जिससे लेक में रहने वाली मछलियां और जलीय जीव मर रहे हैं।  लेक में मॉर्निंग वाक करने आये मॉर्निग वॉकर की नजर जब पानी में मरी मछलियों पर पड़ी तब मामला और ज्यादा गंभीर हो गया। 

पर्यावरणविदों के साथ ही रवींद्र सरोवर लेक में आने वाले मॉर्निंग वॉकर का आरोप है, निर्माण कार्य से लेक का पानी दूषित हो रहा है जिससे मछलियां और जलीय जीव मर रहे हैं।  इससे लेक के पर्यावरण पर भी असर पड़ रहा है।  


बॉउंड्री वॉल लगाने से लेकर कई तरह के कदम उठाने की जरूरत

पर्यावरणविदों का कहना है , लेक को प्रदूषण से बचने के लिए लेक में स्थित क्लबों को कई तरह के गाइडलाइन्स दिए गए थे।  जिनमें लेक क्लब के बाहर लेक के चारों तरफ बॉउंड्री वॉल लगाना होगा।  स्विमर के लेक में उतरने के लिए क्लब से होकर एक गेट बनाया जा सकता है।

  वहीं क्लब की सीवेरज व्यवस्था का प्लान जमा करना होगा ताकि ये देखा जा सके उनके सीवेरज की लाइन लेक से तो नहीं जुड़ी है।  इसके साथ ही बैटरी ऑपरेटेड व्हीकल्स रखें ताकि सॉलिड वेस्ट को मैनेज किया जा सके।  इसके अलावा क्लब को ISO सर्टिफिकेट लेना जरूरी है ताकि पता चल सके क्लब एनवायरनमेंट फ्रेंडली है।

 मगर इन सब गाइडलाइन्स को किसी क्लब ने नहीं माना है।  पर्यावरणविद सौमेंद्र मोहन घोष ने बताया, अगर अवैध निर्माण रोकनी है तो इन गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करवाना जरूरी है।   

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