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Friday, September 17, 2021

बंगाल में Heavy Industries के बंद होने से विश्वकर्मा पूजा पर लग रहा है ग्रहण , कम हो रही है पूजा की रौनक

  •  ऊँची इमारतें और फ्लाईओवर से पतंग उत्सव पर छाया अँधेरा
  •  जान की कीमत उत्सव से है ज्यादा, पुलिस ने भी लगाया है पूरा दम

" दरअसल, दुर्गापूजा से पहले विश्वकर्मा पूजा आता है और इस पूजा के साथ ही बंगाल में उत्सव का माहौल भी शुरू हो जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन पतंग उत्सव भी मनोरंजन का साधन हुआ करता था लेकिन महानगर के विकास ने इस उत्सव पर भी ग्रहण लगा दिया है। साथ ही आज के युववर्ग में भी इस पूजा को लेकर उत्साह में कमी देखी गयी है। "

VISHWAKARMA PUJA


Kolkata/Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा की एक समय बंगाल में धूम मचती थी मगर अब विश्वकर्मा पूजा की रौनक कम होती जा रही हैं।  इसका कारण बंगाल में हैवी इंडस्ट्री का बंद होना है।  एक समय था जब बंगाल के इंडस्ट्रियल एरिया हल्दिया , दुर्गापुर और आसनसोल और हावड़ा में विश्वकर्मा पूजा की धूम देखते ही बनती थी।  

दरअसल, दुर्गापूजा से पहले विश्वकर्मा पूजा आता है और इस पूजा के साथ ही बंगाल में उत्सव का माहौल भी शुरू हो जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन पतंग उत्सव भी मनोरंजन का साधन हुआ करता था लेकिन महानगर के विकास ने इस उत्सव पर भी ग्रहण लगा दिया है। साथ ही आज के युववर्ग में भी इस पूजा को लेकर उत्साह में कमी देखी गयी है। 

 विश्वकर्मा पूजा की रौनक कम होते देख महानगर के वरीय नागरिक और पर्यावरणविद सौमेंद्र मोहन घोष भी दुखी है।  उन्होंने अपना अनुभव इस पूजा को लेकर साँझा किया है और बताया है तब और अब में विश्वकर्मा पूजा में कितना बदलाव आया है।  


30 प्रतिशत कम हुई है विश्वकर्मा पूजा 

पर्यावरणविद सौमेंद्र मोहन घोष ने बताया , पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए कई इंडस्ट्रियल एरिया में वे पहले जाया करते थे और वहां सर्वे किया करता थे।  वे बताते है , पहले हल्दिया , आसनसोल, दुर्गापुर और हावड़ा में हैवी इंडस्ट्री हुआ करती थी।  वहां हजारों मजदूर काम किया करते थे। 

दरअसल, विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से इन इंडस्ट्री में काम करने वाले मजदूर और श्रमिक बड़ी तादाद में मनाया करते थे। विश्वकर्मा पूजा के दिन पूजा के बाद खाना -पीना होता था और खूब धूम मचाया जाता था।  वहीं कोलकाता में भी इस पूजा की धूम होती थी और जमकर पतंगबाजी की जाती थी लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। 

 सौमेंद्र मोहन घोष ने बताया, पहले की तुलना में आज विश्वकर्मा पूजा में 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है।  इसके पीछे भी कई कारण है।  पहला कारण तो बंगाल में हैवी इंडस्ट्री का बंद हो जाना ही है। 


हैवी इंडस्ट्री से पूजा शिफ्ट हो गया है ऑटो मोबाइल्स सेक्टर में 

घोष बताते है, विश्वकर्मा पूजा आज हैवी इंडस्ट्री से शिफ्ट होकर ऑटो मोबाइल्स सेक्टर में चला आया है।  विश्वकर्मा पूजा आज बस और टैक्सी यूनियन और ऑटो मोबाइल्स सेक्टर में मनाई जा रही है।  

इसके अलावा कुछ आईटी सेक्टर में भी पूजा की जा रही है। वहीं कोलकाता में इस उत्सव की रौनक में कमी आने के पीछे भी कई कारण है।  

संयुक्त फैमिली से एकल फैमिली में परिवर्तित होने से इस उत्सव की रौनक कम हो रही है।  इसके अलावा इस शहर से अन्य शहर में युवाओं का पलायन भी इस उत्सव की रौनक को कम करने का एक कारण है।  महानगर में इस उत्सव की ज्यादा धूम नहीं होते हुए भी ग्रामीण इलाके में इस पूजा की धूम देखने को मिलती है।  


ऊँची इमारतें और फ्लाईओवर की भरमार ने पतंग उत्सव पर लगाया है ब्रेक 

महानगर के वरीय नागरिक सौमेंद्र मोहन घोष ने बताया , विश्वकर्मा पूजा का मतलब पतंग उत्सव हुआ करता था।  इस दिन आकाश पतंग से भर जाती थी लेकिन इस पतंग उत्सव पर भी महानगर के विकास ने ब्रेक लगा दिया है।  महानगर में विकास के कारण ऊँची इमारतों और फ्लाईओवर की भरमार हो गयी है।  

इस बाबत पतंग उड़ाने से कई तरह की घटना भी महानगर में घटी है।  पतंग के मांझे से मोटरसाइकिल सवारों को काफी परेशानी होती है।  इसका कारण ये है कि पतंग उड़ाने से पतंग के मांझे फ्लाईओवर पर उड़ के आ जाते हैं और उससे मोटरसाइकिल सवारों पर खतरा बढ़ जाता है। 

 पतंग के मांझे से कोलकाता में एक मोटरसाइकिल सवार की मौत भी हो चुकी है। घोष बताते है , ये बात सही है कि आज मुझे इस उत्सव को लेकर कोई ख़ुशी नहीं हो रही है।  आकाश में कोई पतंग भी नहीं देखी गयी लेकिन मुझे इस बात की ख़ुशी है कि पतंग से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

 पुलिस की तरफ से ड्रोन से निगरानी रखी गयी थी लेकिन मैं चाहता हूँ कि इस तरह से निगरानी अन्य दिनों में भी रखी जाए।  बता दें कि विश्वकर्मा पूजा के उपलक्ष्य में पतंग उत्सव को लेकर कोलकाता पुलिस ने पूरी तैयारी कर ली थी।  

कोई भी पतंग न उड़ाए इसके लिए लालबाजार के अधिकारियों  ने सभी स्थानीय थानों को अलर्ट कर दिया था।  शुक्रवार को पार्क सर्कस क्रासिंग से लेकर विभिन्न इलाकों में ड्रोन से भी नजरदारी रखी गयी थी।   

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