" देबांजन से पूछताछ में पुलिस को उसके फर्जी पहचान बनाने से लेकर फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन कैंप लगाने को लेकर कई खुलासे हुए हैं। हालाँकि पुलिस का कहना है, देबांजन के बयानों की सत्यता की जांच की जा रहीं हैं। कोलकाता पुलिस के जॉइंट कमिश्नर मुरलीधर शर्मा ने बताया, मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है जिसका नेतृत्व डीसी डीडी 2 करेंगे। इस टीम में एंटी चीटिंग और एंटी फ्रॉड व एंटी बैंक फ्रॉड की टीम शामिल रहेगी। मुरलीधर शर्मा ने बताया , पूछताछ के लिए शुक्रवार को चार लोगों को लालबाजार बुलाया गया था। उनसे देबांजन के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई। "
कोलकाता : देबांजन देब, ये नाम पिछले 2 -3 दिनों से सुर्ख़ियों में छाया हुआ है। फर्जी आईएएस अधिकारी, कोलकाता नगर निगम के जॉइन्ट कमिश्नर के नाम का फर्जी तरह से इस्तेमाल कर फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन कैंप लगाकर लोगों को एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगाने वाले इस देबांजन की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं हैं। देबांजन देब ने आज पुलिस से लेकर राजनैतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।
इस फर्जी देबांजन देब की गिरफ्तारी किसी बड़ी षड़यंत्र का हिस्सा तो नहीं है ? पुलिस इसकी गंभीरता से जांच कर रही हैं। देबांजन से पूछताछ में पुलिस को उसके फर्जी पहचान बनाने से लेकर फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन कैंप लगाने को लेकर कई खुलासे हुए हैं।
हालाँकि पुलिस का कहना है, देबांजन के बयानों की सत्यता की जांच की जा रहीं हैं। कोलकाता पुलिस के जॉइंट कमिश्नर मुरलीधर शर्मा ने बताया, मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है जिसका नेतृत्व डीसी डीडी 2 करेंगे। इस टीम में एंटी चीटिंग और एंटी फ्रॉड व एंटी बैंक फ्रॉड की टीम शामिल रहेगी।
मुरलीधर शर्मा ने बताया , पूछताछ के लिए शुक्रवार को चार लोगों को लालबाजार बुलाया गया था। उनसे देबांजन के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई।
देबांजन कैसे और क्यों बना फर्जी आईएएस अधिकारी
पुलिस ने बताया, देबांजन ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसके पिता जो एक्साइज विभाग में डिप्टी कलेक्टर है वो चाहते थे कि देबांजन एक सरकारी अधिकारी बनें। इसके बाद देबांजन में भी सरकारी अधिकारी बनने का सपना पनपने लगा। उसने सरकरी नौकरी के लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
उसने कोलकाता के बेलियाघाटा इलाके में स्थित एक स्कूल में यूपीएससी की प्रिलिमिनरी परीक्षा भी दी लेकिन वो असफल हो गया। मगर, उसने अपनी असफलता की बात अपने घरवालों को नहीं बताई। उसने अपने पिता को बताया कि उसने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है और वो आईएएस अधिकारी बन गया है।
वर्ष 2018 से वो अपने परिवार और रिश्तेदारों को खुद के आईएएस अधिकारी होने की बात बताता आया है। पुलिस को देबांजन ने बताया, उसने सियालदह के टाकी स्कूल से पढाई की है। इसके बाद उसने चारु चंद्र कॉलेज से जूलॉजी की पढाई की। इसके बाद उसने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से जेनेटिक्स की पढाई शुरू की लेकिन वो वहां से निकल दिया गया।
इसके बाद उसने विद्यासागर कॉलेज में डिस्टेंट एजुकेशन प्रोग्राम में हिस्सा लिया लेकिन बाद में उसने वहां भी पढाई नहीं की। इसके बाद वर्ष 2014 - 2017 तक वो म्यूजिक एल्बम और डॉक्यूमेंटरीज बनाने लगा था। मगर पिता के सपने के लिए और खुद का ओहदा संभाल कर रखने के लिए उसने फर्जी आईएएस अधिकारी का चोला पहन लिया और फिर खुद के बने ही जाल में फंसता चला गया।
इवेंट मैनेजमेंट के दौरान देबांजन की हुई नेताओं और सेलिब्रिटी से पहचान
पुलिस ने बताया,देबांजन का दावा है कि इवेंट मैनेजमेंट के दौरान वो कई नेताओं और सेलिब्रिटी के संपर्क में आया था। उसकी पहुँच नवान्न तक भी हो गई थी। इतना ही नहीं उसने फिल्म फेस्टिवल्स में खुद को जूनियर फिल्म डायरेक्टर बताकर अपन नाम भी वहां रजिस्टर करवा लिया था और इसके बाद वो लोगों से मिलने - जुलने लगा और अपना कांटेक्ट बढ़ाने लगा। इसके बाद उसके छोटे स्तर के नवान्न के नेताओं और अधिकारीयों में अच्छी पैठ बन गई।
समाजसेवा करना देबांजन का था शौक
पुलिस ने बताया , देबांजन ने प्राम्भिक पूछताछ में बताया, उसे समाजसेवा का बेहद शौक था। कहीं पर भी कोई कार्यक्रम होता जैसे खिचड़ी खिलाना हो या वस्त्र वितरण, पी पी इ किट बांटना हो , इन सब कार्यक्रम में वो खुद से आगे बढ़कर क्लब से संपर्क करता और उनसे सारे खर्चे देने की बात भी कहता और देता।
पिछले साल लॉक डाउन में भी उसने बहुत समाजसेवा किया था। उसने मास्क और सैनिटाइज़र भी लोगों में बांटें थे। इसके बाद वो स्थानीय क्लब के साथ मिलकर मास्क और सैनिटाइज़र बांटा करता था। इसके बाद वो अपने समाजसेवा के कार्यक्रम को आगे रखकर नेताओं से बातचीत किया करता था।
इस तरह से वो लोगों में अपनी समाजसेवा वाली छवि बनाने में कामयाब हो गया था। पुलिस का कहना है , अभी नेताओं और पुलिस के साथ जो छवि देबांजन की वायरल हो रही हैं वो इन्हीं कार्यों के दौरान ली गई है। दरअसल , उसके समाज सेवा के कार्यों को देखकर थाने के ऑफिसर इंचार्ज भी उससे संपर्क करते थे।
फ़िलहाल , इन ऑफिसर इंचार्ज से भी पूछताछ कर मामले की तह तक पहुँचा जायेगा।
लोगों में अपनी छवि बनाने के लिए देबांजन ने लगाया फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन कैंप
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, देबांजन ने पिछली लॉक डाउन में जो सेवा कार्य किया था , उसे देखकर इस बार भी लोगों ने उससे संपर्क किया। लोगों ने उससे कहा कि उसने पिछली बार लोगों की मदद की थी इस बार भी मदद करें।
इस बार लोगों को वैक्सीन नहीं मिल रहीं है , वो लोगों के लिए वैक्सीन का इंतजाम करवा दे। लोगों के मन में खुद की छवि देखकर देबांजन ने फर्जी वैक्सीनेशन कैंप लगाने का आईडिया निकल लिया। पुलिस ने बताया , कसबा थाना इलाके में उसका फिनकोईर नाम की कंपनी है जिसे वो ngo बताता है।
हालाँकि उसका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है लेकिन यहाँ उसके 12 -13 स्टाफ काम करते हैं। सबसे पहले उसने अपने स्टाफ के लिए ही वैक्सीनेशन का इंतजाम किया था। देबांजन ने बताया, उसने अपने स्टाफ को असली वैक्सीन दिया है लेकिन पुलिस का अनुमान है कि देबांजन ने उन्हें भी कोरोना वैक्सीन की जगह दूसरा इंजेक्शन दिया था।
क्योंकि उन्हें भी कोई सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था। दूसरी तरफ , उसके स्टाफ ने भी देबांजन के बारे में मोहल्ले में काफी प्रचार किया था। इसके बाद ही इलाके के छोटे - बड़े नेता तक देबांजन का नाम पहुंचा था।
टेंडर दिलवाने और सब कॉन्ट्रैक्ट के बहाने देबांजन करता था फण्ड की व्यवस्था
पुलिस ने बताया, समाजसेवा और फ्री कोरोना वैक्सीनेशन कैंप लगाने के लिए फण्ड की जरुरत होती है, देबांजन को इसके लिए फण्ड दूसरों से ठगी कर हासिल होता था। पुलिस ने बताया, देबांजन ने कोलकाता नगर निगम के नाम से एक करंट बैंक अकाउंट खुलवाया था।
इसके अलावा उसके दो और बैंक अकाउंट भी है। देबांजन खुद को कोलकाता नगर निगम का कर्मचारी बताकर वहां के कांट्रेक्टर से सब कॉन्ट्रैक्ट लेता था। दरअसल , वो उन्हें कहता था कि अगर किसी को कोई सामान खरीदना है तो उसके जरिये ख़रीदे।
इससे उसे कमीशन मिल जाता था। इतना ही नहीं जांच में पता चला कि किसी को टेंडर दिलवाने तो किसी से स्टेडियम बनाने के प्रोजेक्ट में निवेश के नाम पर देबांजन ने काफी रुपया हथियाया था। पुलिस ने बताया , बेहला थाने में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई है कि देबांजन ने टेंडर दिलाने के नाम पर उससे 10 लाख रुपया लिया था।
वहीँ एक और व्यक्ति भी अपनी शिकायत लेकर थाने पंहुचा। उसने पुलिस को बताया , देबांजन ने उससे सरकारी परियोजना के तहत स्टेडियम बनाने के लिए उससे 90 लाख रूपये लिए थे। जिसमें से उसने 36 लाख रूपये कोलकाता नगर निगम नाम के करंट अकाउंट में ट्रांसफर किये थे।
इसके अलावा मास्क और सेनिटाइज़र बेचकर भी देबांजन को काफी लाभ मिला था और इसका इस्तेमाल उसने समाजसेवा कार्य में किया था। फिलहाल , बैंक से डिटेल्स मांगी गई है ताकी देबांजन के लेनदेन के बारे में पूरी जानकारी मिल सकें।
कई अधिकारियों के नाम मिले हैं चिट्ठी
पुलिस ने बताया , देबांजन के दफ्तर से कई चिट्ठियां मिली हैं। इन चिट्ठियों में कई अधिकारियों के नाम लिखे हुए हैं।प्राथमिक जांच में पता चला हैं कि जो कोई लोग भी उसके पास अपनी शिकायत या दुःख लेकर आता था तो वो उनके सामने उनके समस्या का निवारण हेतु सम्बंधित अधिकारियों के नाम चिट्ठी लिख तो देता था लेकिन उसे कभी पोस्ट नहीं करता था।
देबांजन के इस बयां की सत्यता की जांच की जा रहीं हैं। वहीँ जिस नीली बत्ती की कार से वो घूमता था वो देबांजन ने किराये पर ली थी। पिछले 4 - 5 महीनो से देबांजन इस तरह का काम कर रहा था।
फिलहाल उससे पूछताछ कर ये जानने की कोशिश जारी हैं कि सी काम में उसका कोई साथी हैं या नहीं। पुलिस का कहना है, देबांजन पूछताछ में बरगलाने की कोशिश कर रहा है।
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