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Wednesday, June 16, 2021

मंदारमणि : Yaas साइक्लोन से उबरने की जुगत में लगा है Bengal का ये हॉट स्पॉट sea beach Mandarmani

  • कभी हुआ करता था होटल के इस हिस्से में कॉटेज, साइक्लोन ने कर दिया पूरा सफाया
  •  करीब 15 दिन बाद भी हालत नहीं बदली, होटल मालिकों ने लगाया एड़ी चोटी का जोर 

 "मगर मई महीने के अंत में आई यास साइक्लोन ने जो तबाही मचाई है उससे मंदारमणि और दीघा उबर नहीं पाए हैं। मंदारमणि, फिर से उठने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा हैं। दरअसल, यहां के अधिकतर होटलों की हालत बेहद खराब है। इसका कारण ये है कि मंदारमणि के अधिकतर होटल समुद्र किनारे पर बने हैं और साइक्लोन के कारण इन होटल की हालत बेहद पस्त है। कुछ होटल मालिकों ने मरम्मत का काम शुरू कर दिया है लेकिन कुछ ने अभी तक मरम्मत का काम शुरू ही नहीं किया है। साइक्लोन के करीब 15 दिन बीत जाने के बाद भी मंदारमणि अपने पुराने रूप में नहीं आ सका है।"

मरम्मत के काम में जुटे मजदूर


BENGAL : बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले में स्थित मंदारमणि सी बिच कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर है। मंदारमणि और दीघा वीकेंड बिताने के लिए सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। किसी को भी दो दिनों के लिए समुद्र किनारे और एकांत में समय बिताने का मन होता है तो वो सीधे मंदारमणि की ओर मुख करता हैं।

 मंदारमणि जितना शांत है दीघा उतना ही चहल - पहल वाला है। दीघा में भी पर्यटकों की भीड़ रहती है। जिन्हें शांति चाहिए होती है उनका  रुझान मंदारमणि की तरफ ही होता है। मगर मई महीने के अंत में आई यास साइक्लोन ने जो तबाही मचाई है उससे मंदारमणि और दीघा उबर नहीं पाए हैं। मंदारमणि, फिर से उठने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा हैं। 

दरअसल, यहां के अधिकतर होटलों की हालत बेहद खराब है। इसका कारण ये है कि मंदारमणि के अधिकतर होटल समुद्र किनारे पर बने हैं और साइक्लोन के कारण इन होटल की हालत बेहद पस्त है। कुछ होटल मालिकों ने मरम्मत का काम शुरू कर दिया है लेकिन कुछ ने अभी तक मरम्मत का काम शुरू ही नहीं किया है। 

साइक्लोन के करीब 15 दिन बीत जाने के बाद भी मंदारमणि अपने पुराने रूप में नहीं आ सका है। मंदारमणि और दीघा का हाल जानने के लिए एक स्वतंत्र पत्रकार और ब्लॉगर के तौर पर मैं खुद मंदारमणि और दीघा पहुंची थी। पहुंचकर वो पहले जैसी खुशी महसूस नहीं हुई। जिस होटल में मैं 2020 सितंबर महीने में गई थी, वहां इस बार जाकर देखा तो यास की असली तबाही देखने को मिली। 

होटल का समुद्र की तरफ वाला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। ऐसा लग रहा था मानों किसी अनजान जगह पहुंच गई हूं। वहां के स्टाफ और मैनेजर ने भी साइक्लोन की भयावहता के बारे में बताया और कहा, ज्यादा बोलने से अच्छा आप होटल की हालत देख लो। आपको सब पता चल जाएगा। सिर्फ इस होटल की ही नहीं बल्कि सभी होटल अपने आप में साइक्लोन यास की भयावहता बयां कर रहे थे। 

कभी हुआ करता था यहां कॉटेज


जहां बनाई गई थी कॉटेज , साइक्लोन ने कर दिया सफाया 

मंदारमणि के एक प्रसिद्ध होटल के मैनेजर ने बताया, उनके होटल में उनका कॉटेज सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र था। करीब 18 किलोमीटर में फैला कॉटेज साइक्लोन की मार से ऐसा ढहा जिसे देखकर आज कोई नहीं बोल सकता कि यहां कभी कॉटेज हुआ करता था। मैनेजर ने बताया, इस नुकसान की भरपाई के लिए 70-80 लाख रुपए लगेंगे। 

मगर, इन रूपये के खर्च होने के बाद भी पहले जैसे हालत बन पाएंगे, इसमें संदेह है। एक तरफ लॉक डाउन ने हालत खस्ता किया था तो दूसरी तरफ यास साइक्लोन ने आग में घी डालने का काम किया है। मैनेजर ने बताया, अभी बंगाल में और 15 दिन लॉक डाउन बढ़ाई गई है। अभी लॉक डाउन है, इस बाबत होटल में मरम्मत का काम युद्धस्तर पर जारी है। हमें उम्मीद है कि लॉक डाउन हटने के बाद हमारा व्यवसाय फिर से खड़ा होगा। 



दीघा के खुलने पर अभी है संशय

मंदारमणि में अभी भी इक्के - दुक्के होटल खुले हुए मिल रहे हैं लेकिन दीघा पूरी तरह से वीरान है। दीघा का एक भी होटल नहीं खुला है। दीघा के होटल मालिकों से बातचीत में उन्होंने बताया, अभी दीघा में एक भी होटल खोलने की अनुमति नहीं है। 

लॉक डाउन के साथ ही साइक्लोन का भी काफी असर पड़ा है। अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। पहले 20 जून को एक मीटिंग होने की संभावना थी लेकिन लॉक डाउन 30 जून तक बढ़ाई जाने के बाद से उस मीटिंग को लेकर संशय पैदा हो गया है।

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