- दिल्ली से कोलकाता तक पहुंची आंच, समिति ने की अपील, समाज में न दें अंधविश्वास को बढ़ावा
" एक तरफ समाज में अंधविश्वास है तो वही दूसरी तरफ एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने दिल्ली से लेकर कोलकाता तक तहलका मचा दिया है। खबर मिलने के बाद ही कोलकाता की एक संस्था ने इसे मुद्दा बना दिया है और इसका पूरजोर विरोध कर रही हैं। कोलकाता की यह संस्था सालों से अंधविश्वास के खिलाफ काम करती आ रही है। वो संस्था है भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति। ये समिति 1985 से हमारे समाज में फैली अंधविश्वास के खिलाफ काम कर रही हैं। इतना ही नहीं इस समिति ने विश्व के प्रसिद्ध तर्कवादी प्रबीर घोष के नेतृत्व में कई पाखंडो के असली चेहरों को सामने लाया है। भूत - प्रेत, अलौकिक शक्ति , ज्योतिष जैसे अंधविश्वास के खिलाफ काम करने वाली भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति ने देश के स्वनामधन्य शैक्षणिक संस्थान इंदिरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू ) के एक कोर्स के खिलाफ आवाज उठाई है। "
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कोलकाता : ज्योतिष और भविष्य बताने वाले कई सालों से हमारे समाज में हैं। ज्योतिष और भविष्य बताने वाले व्यक्ति का समाज में काफी सम्मान भी है इसमें दोराय नहीं हैं। हमारे समाज में ज्योतिष को लेकर काफी मान्यता है और लोग उन्हें किसी भगवन से काम भी नहीं समझते हैं। समाज में कोई - कोई व्यक्ति ऐसे भी मिलेंगे जो ज्योतिषों के कहे अनुसार ही अपना दिनचर्या चलाते हैं।
उन्हें यकीन होता है कि ज्योतिष की बात मानकर ही वो अपनी गृह दशा में परिवर्तन कर अपने जीवन में सफलता पा सकते हैं। ज्योतिषों के चक्कर में न सिर्फ अनपढ़ लोग बल्कि पढ़े लिखे लोग भी पड़ जाते हैं। कोलकाता सहित कई राज्यों में पाखंड बाबा और ज्योतिष के चक्कर में फंसकर कईयों ने अपना सबकुछ गवां दिया है। हमारे थाने में कई बार इस तरह के कई मामले सामने आते हैं बावजूद इसके लोगों में कोई जागरूकता नहीं आई है।
आपको आशाराम बापू , बाबा राम रहीम जैसे कई पाखंडी बाबा के बारे में जानकारी होगी। कैसे इन लोगों ने लोगों के विश्वास और श्रद्धा को बिज़नेस बनाया और लोगों से ठगी की। इन्होंने समाज में केवल गन्दगी फैलाई है। मगर , इसके बावजूद समाज में अभी भी बाबाओं के नाम का बोलबाला है। वहीं, अगर एक ज्योतिष या भविष्य बताने वाला एक व्यक्ति के भाग्य को देख सकता है और भाग्य बदल सकता हैं, तो फिर वे खुद का भाग्य क्यों नहीं बदलता है, इसका जवाब तो इन ज्योतिष , बाबा के पास भी नहीं है।
एक तरफ समाज में अंधविश्वास है तो वही दूसरी तरफ एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने दिल्ली से लेकर कोलकाता तक तहलका मचा दिया है। खबर मिलने के बाद ही कोलकाता की एक संस्था ने इसे मुद्दा बना दिया है और इसका पूरजोर विरोध कर रही हैं। कोलकाता की यह संस्था सालों से अंधविश्वास के खिलाफ काम करती आ रही है। वो संस्था है भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति।
ये समिति 1985 से हमारे समाज में फैली अंधविश्वास के खिलाफ काम कर रही हैं। इतना ही नहीं इस समिति ने विश्व के प्रसिद्ध तर्कवादी प्रबीर घोष के नेतृत्व में कई पाखंडो के असली चेहरों को सामने लाया है। भूत - प्रेत, अलौकिक शक्ति , ज्योतिष जैसे अंधविश्वास के खिलाफ काम करने वाली भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति ने देश के स्वनामधन्य शैक्षणिक संस्थान इंदिरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू ) के एक कोर्स के खिलाफ आवाज उठाई है।
भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के महासचिव मनीष रायचौधरी ने बताया, इग्नू ने एस्ट्रोलॉजी में 2 साल का पोस्ट ग्रेजुएट ' मास्टर ऑफ़ आर्ट्स - ज्योतिष ' कोर्स चालू किया है, उसका हमारी संस्था विरोध करती है। उन्होंने बताया , ज्योतिष और भविष्य बताने वाले हजारों सालों से हमारे समाज में हैं लेकिन अब तक उन्होंने अपने दावे को लेकर वे कोई भी प्रमाण देने में असमर्थ रहे हैं। ज्योतिषों का दावा रहा है कि सौर मंडल के भू - केंद्रीय मॉडल पर ज्योतिष आधारित होती है मगर उनके दावों को साइंटिस्ट ने बहुत पहले ही गलत साबित कर दिया है।
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इग्नू का यह कदम समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा देने जैसा है
भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के महासचिव मनीष रायचौधरी का कहना है , इग्नू जैसी स्वनामधन्य शैक्षिक संस्थान को इस तरह की किसी भी चीज़ों को प्रोत्साहन नहीं देनी चाहिए जिसका कोई वैज्ञानिक आधार न हो। इतना ही नहीं इग्नू का यह कदम साइंटिफिक टेम्पर और स्पिरिट (आत्माओं ) की खोज के लिए भारतीय संविधान 51 ए(बी ) के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी कहा , प्रतिकार ज्योतिष, एस्ट्रोलॉजी का स्वाभाविक प्रकार है जो उन समस्याओं का समाधान करने का दावा करता है जैसे कालसर्पदोष, मंगलिकदोष , राहुमुक्ति आदि, मगर ये असल में ऐसा नहीं है। इससे केवल समाज में अन्धविश्वास ही बढ़ता है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा , जो ज्योतिष ये दावा करते है कि रत्न पहनने से लोगों के दोष दूर हो जाते हैं तो वो भी सीधे तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल विज्ञापन ) एक्ट 1954 और ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 (अमेंडमेंट 2009) के खिलाफ कार्य करते हैं।
वो कानून के खिलाफ हैं। मनीष रॉयचौधरी ने इग्नू को ईमेल भेजकर अपील कि है कि वो इस तरह के कोर्स को प्रोत्साहन न दें जिससे समाज में अंधविश्वास बढ़ें। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि ज्योतिष का कोई आधार नहीं है, इस सम्बन्ध में भी अगर उन्हें कोई साबुत या तथ्य चाहिए तो उनकी संस्था उन्हें वो भी उपलब्ध करवा देगी। इसके साथ ही उन्होंने सभी ज्योतिषों को ५० लाख रुपये का चैलेंज भी दे दिया कि वो साबित कर दें कि ज्योतिष का वैज्ञानिक आधार है।
ये कोर्स लांच किया है इग्नू ने
कुछ दिन पहले ही इंदिरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू ) ने एस्ट्रोलॉजी में मास्टर प्रोग्राम कोर्स को लांच किया है। इग्नू की तरफ इस समबन्ध में एक नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक , ज्योतिष की विभिन्न शाखाओं के बारे में छात्रों को प्रैक्टिकल ज्ञान देने के लिए इस कोर्स को चालू किया गया है।
इस कोर्स में भर्ती लेने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से विषय में स्नातक की डिग्री रखने वाले छात्र आवेदन कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष की होगी और शिक्षा का माध्यम हिंदी होगा।
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