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Wednesday, July 28, 2021

मृत्यु के बाद "Feast" का आयोजन गरीब तबके पर बोझ ... भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति ने किया विरोध ,CM को लिखा पत्र

" वहीं जब तक लोग जीवित होते हैं तब तक सारे रिश्ते-नाते , प्यार सब जिन्दा रहता है और मरने के साथ ही ये सब कुछ ख़त्म हो जाता है।  एक नाम वाला इंसान सिर्फ "बॉडी " बनकर रहा जाता है। यही हमारी परंपरा और रीति-रिवाज है। मरने के बाद मरने वाले व्यक्ति की मुक्ति के लिए वो सब करने को तैयार रहते हैं जो जिन्दा रहते हुए उस इंसान के लिए नहीं करते हैं।  अरे , कोई ये तो समझाए जब मरने के बाद एक इंसान सिर्फ बॉडी बन जाता है तो वो मरने के बाद उसके यहाँ फिर क्या करने आएगा, वो क्या खायेगा ? यह प्रश्न अक्सर कुछ लोगों के मन में आता हैं। अलौकिक शक्ति , भूत - प्रेत के खिलाफ काम करने वाली कोलकाता की संस्था भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति हमेशा से ही इसका पुरजोर विरोध करती आयी है। "




BENGAL : जीवन में अगर कुछ सत्य है तो वो है मृत्यु। जन्म और मृत्यु पर किसी का बस नहीं चलता है। एक न एक दिन सबको मरना हैं लेकिन कोई भी इस सत्य को स्वीकारना नहीं चाहता हैं।  जन्म और मृत्यु जीवन का चक्र है जो लगातार चलता रहता है।  आज जिसने जन्म लिया है उसे कल मरना ही होगा।

 किसी को अमृत्व प्राप्त नहीं हुआ है। वहीं जब तक लोग जीवित होते हैं तब तक सारे रिश्ते-नाते , प्यार सब जिन्दा रहता है और मरने के साथ ही ये सब कुछ ख़त्म हो जाता है।  एक नाम वाला इंसान सिर्फ "बॉडी " बनकर रहा जाता है। यही हमारी परंपरा और रीति-रिवाज है। 

मरने के बाद मरने वाले व्यक्ति की मुक्ति के लिए वो सब करने को तैयार रहते हैं जो जिन्दा रहते हुए उस इंसान के लिए नहीं करते हैं।  अरे , कोई ये तो समझाए जब मरने के बाद एक इंसान सिर्फ बॉडी बन जाता है तो वो मरने के बाद उसके यहाँ फिर क्या करने आएगा, वो क्या खायेगा ? यह प्रश्न अक्सर कुछ लोगों के मन में आता हैं। 

अलौकिक शक्ति , भूत - प्रेत के खिलाफ काम करने वाली कोलकाता की संस्था भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति हमेशा से ही इसका पुरजोर विरोध करती आयी है। मौत के बाद भोज को बंद कराने के लिए बंगाल सरकार एक कानून बनाये इसके लिए इस समिति ने कदम उठाया है।  

इस समिति ने बुधवार को मृत्यु भोज को बंद कराने के लिए बंगाल में कानून लाने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कानून मंत्री सहित सभी मिनिस्टर को चिट्ठी भेजी है।  

This letter sent to CM Mamata Banerjee


जब राजस्थान में कानून बन सकता है तो बंगाल में क्यों नहीं ? 

भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के पुरुलिया डिस्ट्रिक्ट शाखा ने इस मुद्दे को उठाया है और इसी शाखा ने सभी को चिट्ठी भेजकर कानून बनाने की मांग की है जिसमें मृत्यु भोज को बंद कर दिया जाये।  आखिर ऐसा क्यों ? इस बारे में इस समिति के सचिव मधुसूदन महतो ने बताया , हमारे समाज में सालों से एक कू- प्रथा चली आ रही , मृत्यु के बाद भोज का आयोजन करना।  

ये आयोजन बाध्यतामूलक है।  इच्छा और सामर्थ्य न होने पर भी अगर किसी के घर में कोई मर जाये तो उसके मौत के बाद घरवालों को इस कार्यक्रम का आयोजन करना ही पड़ता है। निम्न और गरीब तबके के लोग सबसे ज्यादा इस प्रथा के पीड़ित है।

 इस प्रथा को मानते हुए मृत्यु भोज के लिए कइयों को अपनी जमीन, कीमती चीज़ें बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है ताकि वो मृत्यु के बाद भोज का आयोजन कर सके।  इस तरह के कई मामले हम देखते हैं। मधुसूदन महतो का कहना है , राजस्थान में मृत्यु भोज के खिलाफ कानून बनाया गया है।  

अगर राजस्थान में इस तरह का कानून लागु हो सकता है तो फिर बंगाल में क्यों नहीं।  इसलिए चिट्ठी भेजकर हम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध करते है कि वो मृत्यु भोज निषेध कानून लागू कर निम्न और गरीब वर्ग के लोगों का उपकार करें।  

वहीं संस्था के जॉइंट सेक्रेटरी संतोष शर्मा का कहना है , राजस्थान में पिछले साल इस कानून को सख्ती से लागू किया गया है। 60  साल पुराना कानून है लेकिन उसे पिछले साल कोरोना के वक़्त फिर से लागू किया गया। इस कानून के तहत मृत्यु भोज देने वालों को 1 साल की सजा का प्रवधान है। 

हम आपको यहाँ बता दें कि राजस्थान ऐसा पहला राज्य है जिसने इस कानून को लागू किया है।  


मृत्यु भोज क्या होता है 

किसी भी व्यक्ति के यहाँ उनके किसी परिजन की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु के बाद धार्मिक परंपरा को मानते हुए अपने समाज के लोगों को बुलाकर भोज का आयोजन करना जिसमें गंगा प्रसादी , नुक्ता , मौसर आदि शामिल है , उसे मृत्यु भोज कहा जाता है।  


क्या है मृत्यु भोज अधिनियम 1960 

राजस्थान में मृत्यु भोज अधिनियम 1960 लागू किया गया है।  मृत्यु भोज निषेध कानून के तहत गंगा प्रसादी धार्मिक रूप से किसी भी पंडो या पुजारियों के लिए धार्मिक संस्कार और परंपरा के नाम पर मृत्यु भोज का आयोजन कानूनन अपराध है।  

इस अधिनियम के 7 धाराओं के तहत ये प्रावधान है -  मृत्यु भोज का आयोजक और उसमे शामिल होने वाले, दोनों ही अपराध के श्रेणी में आते हैं। अगर किसी को मृत्यु भोज के लिए उकसाया जाये ये दबाव डाला जाये तो वो भी अपराध है।  

इसके अलावा जो दूकानदार भी मृत्यु भोज के लिए सामान देता है वो भी सजा का हकदार होता है। इन सभी मामलों में सजा अधिकतम 1 वर्ष होती है और जुर्माना भी वसूला जाता हैं।   


1 comment:

  1. मृत्यु पश्चात मृत व्यक्ति के नाम मृत्युभोज करवाना आज भी एक कुप्रथा हमारे समाज में काला धब्बा जैसा बना हुआ है। मृत्युभोज जैसी कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए। इसके लिए पश्चिम बंगाल में भी युक्तिवादी समिति ने आवाज उठाई है। राजस्थान में लागू मृत्युभोज विशेष अधिनियम की तर्ज पर बंगाल में भी कानून बनाए जाने की जो मांग समिति ने की है उसे अपने ब्लॉग पर विस्तृत रूप से प्रकाशित करने के लिए बबिता माली को ढेर सारी बधाई देना चाऊंगा।

    संतोष शर्मा
    संयुक्त सचिव
    भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति

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