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Tuesday, July 13, 2021

KOLKATA : ...और CAR ने पहुँचाया POLICE को 'नकली पुलिस' तक

  •  बड़ाबाजार का व्यवसायी कार में पुलिस स्टीकर लगाकर घूम रहा था 

" हालाँकि, कार में पुलिस या प्रेस का स्टीकर या डॉक्टर या वकील का स्टीकर फर्जी तरह से लगाकर घूमने वालों की संख्या भी कम नहीं हैं।  कभी ये पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं तो मामले का खुलासा हो जाता हैं लेकिन अमूमन ऐसा कम ही होता हैं। इस बाबत ही ऐसे लोगों की हिम्मत बढ़ जाती है। अपने इलाके में अपना रुतबा बढ़ाने के लिए लोग इस तरह से फर्जीवाड़ा करते हैं। मगर, अब पुलिस भी इनके खिलाफ कदम उठाना शुरू कर चुकी हैं। मंगलवार को कोलकाता पुलिस ने ऐसे ही कार को जब्त कर कार मालिक व ड्राइवर को गिरफ्तार किया है।"



कोलकाता : कसबा फर्जी आईएएस देबांजन देब मामले के बाद बंगाल से कई फर्जी अधिकारियों की एक के बाद एक गिरफ्तारियां हो रही हैं।  इसी के साथ कार में फर्जी तरह से पुलिस या अन्य सरकारी दफ्तरों के नाम का स्टीकर लगाकर घूमने वालों के खिलाफ भी पुलिस ने अभियान शुरू कर दिया हैं।  

हालाँकि, कार में पुलिस या प्रेस का स्टीकर या डॉक्टर या वकील का स्टीकर फर्जी तरह से लगाकर घूमने वालों की संख्या भी कम नहीं हैं।  कभी ये पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं तो मामले का खुलासा हो जाता हैं लेकिन अमूमन ऐसा कम ही होता हैं। इस बाबत ही ऐसे लोगों की हिम्मत बढ़ जाती है। 

अपने इलाके में अपना रुतबा बढ़ाने के लिए लोग इस तरह से फर्जीवाड़ा करते हैं। मगर, अब पुलिस भी इनके खिलाफ कदम उठाना शुरू कर चुकी हैं। मंगलवार को कोलकाता पुलिस ने ऐसे ही कार को जब्त कर कार मालिक व ड्राइवर को गिरफ्तार किया है। 

पुलिस सूत्रों ने बताया , ये मामला कोई नया नहीं है।  इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।  इन मामलों पर पूरी तरह लगाम कसना संभव नहीं हैं। हर कार की जांच करना संभव नहीं हैं लेकिन अगर किसी वाहन या कार पर संदेह होता है तो उसकी जांच जरूर की जाती है। ये मामला भी इसका ही एक उदाहरण है।  


कैसे हुआ खुलासा

पुलिस सूत्रों ने बताया , मंगलवार की अपराह्न 3.45 बजे एक प्राइवेट हौंडा अमेज कार बड़ाबाजार थानांतर्गत स्ट्रैंड रोड के निकट पार्किंग में खड़ी थी।  कार के सामने और पीछे के शीशे में पुलिस लिखा हुआ स्टीकर और डैश बोर्ड में पुलिस का बोर्ड लगा हुआ था। 

इस दौरान वहां हावड़ा ट्रैफिक गार्ड का एक होमगार्ड ड्यूटी कर रहा था।  उसे कार देखकर थोड़ा संदेह हुआ।  पुलिस सूत्रों ने बताया , कार हौंडा अमेज़ थी जो अमूमन कोई पुलिस अधिकारी इस्तेमाल नहीं करते हैं।  इस बाबत ही शंका पैदा हुई थी। इसके अलावा, देबांजन काण्ड के बाद से ही कोलकाता पुलिस ने वाहनों की चेकिंग और बढ़ा दी है और इस तरह के कार पर विशेष निगरानी रखी जा रही हैं। 

वहीं, इसी निगरानी के तहत   कार के ड्राइवर से पुलिस स्टीकर लगाने को लेकर पूछताछ शुरू की गयी। उससे पूछा गया , ये कार किस पुलिस अफसर की है ? उनका क्या नाम है ? कार के दस्तावेज मांगे गए। कार चला रहे लोकेश सिंघी (33) से पुलिस ने पूछताछ शुरू की तब वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। 

 इसके बाद ही उसे गिरफ्तार कर कार जब्त कर ली गयी। लोकेश सिंघी हावड़ा के डबसन रोड का रहने वाला है। पुलिस सूत्रों ने बताया, वो कोई पुलिस नहीं है बल्कि बड़ाबाजार में उसका बिज़नेस है। हालाँकि , उसके खिलाफ अभी तक यह नहीं मिला है, पुलिस के नाम का इस्तेमाल कर उसने किसी को धमकाया है या किसी से वसूली की है। 

पुलिस सूत्रों ने बताया , ये मामला आईपीसी की धारा 419 (अपनी पहचान छुपकर दूसरे की पहचान का इस्तेमाल करना ) के तहत आता हैं।  आप किसी को अपना फर्जी परिचय दो या कार में किसी के नाम या पदवी का इस्तेमाल करना , दोनों ही एक अपराध की श्रेणी में ही आता है।  इस मामले में भी आईपीसी की धारा 419 ,170 के साथ ही मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी हैं।  


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