- हेल्थ का रखें ख्याल, बिमारियों को करें दरकिनार
"कोरोना वैश्विक महामारी के कारण कैंसर रोगियों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। मगर इसका कारण कोरोना नहीं बल्कि कोरोना महामारी से पैदा हुई परिस्थितियां है। इस बारे में महानगर के जाने - माने ऑन्कोलॉजिस्ट, MD,DNB,ECMO, PDCR डॉ काजी एस मनीर से इस बारे में बातचीत की गई। डॉ काजी एस मनीर का कहना है, कैंसर के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे उन मरीजों पर कोरोना का ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है। उनका कहना है, वर्तमान परिस्थितियों के कारण सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की संख्या हो गयी हैं।"
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Dr. Kazi S Manir |
कोलकाता : कोरोना वैश्विक महामारी के कारण पिछले दो सालों से भारत ही नहीं पूरा विश्व प्रभावित है। कोरोना ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। मगर कोरोना के कारण अभी जो सबसे ज्यादा मामला सामने आ रहे हैं वो है कैंसर मरीजों का। कोरोना महामारी के कारण कैंसर रोगियों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है।
मगर इसका कारण कोरोना नहीं बल्कि कोरोना महामारी से पैदा हुई परिस्थितियां है। इस बारे में महानगर के जाने - माने ऑन्कोलॉजिस्ट, MD,DNB,ECMO, PDCR डॉ काजी एस मनीर से इस बारे में बातचीत की गई। डॉ काजी एस मनीर का कहना है, कैंसर के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे उन मरीजों पर कोरोना का ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है।
उनका कहना है, वर्तमान परिस्थितियों के कारण सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की संख्या हो गयी हैं। इतना ही नहीं कोरोना के कारण कैंसर के इलाज की गति में कमी आयी है जिसके कारण हालात बिगड़ रहे हैं।
महामारी का कैंसर के बढ़ते मामलों से क्या है सम्बन्ध ?
इस बारे में डॉ. काजी बताते है, पिछले दो सालों से हमारे देश में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं जिसका कोरोना महामारी से सीधे कोई संबंध नहीं है। लेकिन कोरोना के कारण जो मौजूदा हालात पैदा हुई है, उसके चलते दिल और किडनी से जुड़ी कई अन्य बड़ी पुरानी बीमारियां गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं।
कैंसर की सर्जरी स्थगित हो रही है जबकि रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी उपचार या तो देरी से हो रहा है या बाधित हो रहा है। उन्होंने बताया, कैंसर का इलाज काफी लंबा होता है और कुछ प्रमुख मामलों में एक मल्टीमोडेलिटी एप्रोच (सर्जरी/रेडियोथेरेपी/कीमोथेरेपी) की आवश्यकता होती है।
इस दौरान कोई भी रुकावट या इलाज में देरी बीमारी को और ज्यादा बढ़ा देती है। उन्होंने बताया कि इस वजह से अभी कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है।
इन परिस्थिति में ऑन्कोलॉजिस्ट के लिए अभी क्या चुनौतियाँ हैं ?
डॉ. काजी का कहना है, अभी दुनिया भर के ऑन्कोलॉजिस्ट के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है। इस दौरान ऑन्कोलॉजी सेवाओं को रणनीतिक और कारगर बनाने में समय लगा है। कैंसर का इलाज न तो ऐच्छिक है जिसमें देरी हो सकती है और न ही आपातकालीन लेकिन इलाज आवश्यक है।
कैंसर के मरीज इम्यून compromised के होते हैं, इसके कारण एक बड़ी आबादी के कोरोना ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बाबत हमने भी अभी उन्हीं मरीजों की चिकित्सा को प्राथमिकता दी है जो गंभीर रूप से बीमार है। इसके साथ ही मरीजों को इलाज के बाद फॉलो अप के लिए ऑनलाइन परामर्श के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इसके अलावा उन मरीजों के लिए जो अन्य मरीजों के संपर्क में नहीं आये, उनके लिए अलग से फॉलो अप क्लिनिक भी है जहाँ उन्हें शारीरिक परिक्षण के लिए बुलाया जाता है। नए रोगियों के लिए जिन्हें उपचार की आवश्यकता है, हम उनकी अवधि या अस्पताल में रहने के समय को कम करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
रेडियोथेरेपी एक दैनिक उपचार है जो 5 से 7 सप्ताह तक चलता है इसलिए मामलों के आधार पर हम वैकल्पिक छोटे रेडियोथेरेपी ट्रीटमेंट शेड्यूल को अपना रहे हैं। कीमोथेरेपी के चुनिंदा मामलों में हम साप्ताहिक कीमोथेरेपी रोटेशन के बजाय 3 साप्ताहिक कीमोथेरेपी रोटेशन अपना रहे हैं।
कैंसर सर्जरी जैसी किसी भी नियोजित प्रक्रिया के लिए हम नियमित रूप से सर्जरी से पहले नेसल स्वाब से कोविड - 19 परीक्षण करते हैं। कैंसर रोगियों के आमतौर पर अलग वार्ड होते हैं,इसलिए अन्य रोगियों के बिमारियों से संपर्क में आने की इनकी संभावना कम होती हैं।
पश्चिम बंगाल में कैंसर के इलाज प्रक्रिया के बारे में राय क्या है ?
उन्होंने बताया , पश्चिम बंगाल में प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों में कैंसर के इलाज और देखभाल की सुविधाएं हैं। राज्य में उन्नत सर्जिकल उपकरण जैसे सर्जिकल रोबोट, रेडियोथेरेपी मशीन जैसे एडवांस जेनेरशन लीनियर एक्सेलरेटर सहित अन्य सुविधाएं भी हैं।
यहाँ सरकारी और निजी क्लीनिकों में उत्कृष्ट प्रशिक्षित डॉक्टर, कर्मचारी और टेक्नोलॉजिस्ट हैं। कुछ अस्पतालों की अपनी प्रयोगशाला और क्लीनिकल रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर भी है। वर्तमान समय में जिलों और कस्बों में भी एडवांस्ड कैंसर सुविधाएं विकसित हो रही हैं।
किस प्रकार का कैंसर कोविड के कारण ज्यादा प्रभावित हो सकता है ?
डॉ काजी का कहना है, सभी कैंसर रोगियों में सामान्य स्वस्थ लोगों की तुलना में कोरोना संक्रमण का जोखिम अधिक ही होता है क्योंकि कैंसर प्रतिरक्षा प्रणाली को ही प्रभावित करता है और कुछ स्थितियों में, कैंसर के रोगी संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
कीमोथेरेपी के दौर से गुजर रहे मरीजों में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होती है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की एक महत्वपूर्ण रीढ़ होती है। इसलिए उन्हें कोई भी संक्रमण होने का खतरा सबसे अधिक होता है। इसलिए ये मरीज कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली श्रेणी में आते हैं।
रक्त कैंसर या ल्यूकेमिया या लिम्फोमा जैसे लिम्फनोड कैंसर के लिए भी कोरोना गंभीर समस्या है। कैंसर के रोगियों का एक बड़ा वर्ग, अन्य पुरानी बीमारियों जैसे हृदय रोग, फेफड़ों के रोग, मधुमेह वाले वृद्ध लोग भी कोरोना के लिए अति संवेदनशील है। उन्हें भी कोरोना जल्दी प्रभावित करता है।
स्वस्थ, सुखी और कैंसर मुक्त जीवन के लिए क्या है टिप्स ?
किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए खुद को तंदुरुस्त रखना बेहद जरूरी है। डॉ काजी का कहना है , नियमित शारीरिक गतिविधियाँ करें, खेलकूद, योग करें या हलकी गतिविधियों में शामिल हों जैसे तेज चलना ताकि शरीर स्वस्थ और फिट रहे।
प्रतिरक्षा बढ़ाने और कैंसर को रोकने के लिए स्वस्थ पौष्टिक भोजन, हरी सब्जियां और मौसमी फलों का सेवन करें। किसी भी प्रकार की गलत आदतें जैसे शराब, धूम्रपान, तंबाकू के साथ फास्ट फूड, कार्बोनेटेड पेय के इस्तेमाल से बचें।
इसके अलावा अत्यधिक तनाव से बचें और खुद को खुश रखने की कोशिश करें। एक स्वस्थ कैंसर मुक्त जीवन जीने में मानसिक शांति भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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